सामान्य काल

दसवाँ सप्ताह
आज की संत :
संत जेरमेन कुसीन कुँवारी

📒पहला पाठ: 1 राजाओं 19 : 19- 21

19 एलियाह वहाँ से चला गया और उसने शाफ़ाट के पुत्र एलीशा के पास पहुँच कर उसे हल जोतते हुए पाया। उसने बारह जोड़ी बैल लगा रखे थे और वह स्वयं बारहवीं जोड़ी चला रहा था। एलियाह ने उसकी बग़ल से गुज़र कर उस पर अपनी चादर डाल दी।

20 एलीशा ने अपने बैल छोड़ कर एलियाह के पीछे दौड़ते हुए कहा, “मुझे पहले अपने माता-पिता का चुम्बन करने दीजिए। तब मैं आपके साथ चलूँगा।”

21 एलियाह ने उत्तर दिया, “जाओ, लौटो। तुम जानते ही हो कि मैंने तुम्होरे साथ क्या किया है।“

📙सुसमाचार : संत मत्ती 5 : 33 – 37

33 “तुम लोगों ने यह भी सुना है कि पूर्वजों से कहा गया है- झूठी शपथ मत खाओ। प्रभु के सामने खायी हुई शपथ पूरी करो।

34 परन्तु मैं तुम से कहता हूँः शपथ कभी नहीं खानी चाहिए- न तो स्वर्ग की, क्योंकि वह ईश्वर का सिंहासन है;

35 न पृथ्वी की, क्योंकि वह उसका पावदान है; न येरुसालेम की, क्योंकि वह राजाधिराज का नगर है

36 और न अपने सिर की, क्योंकि तुम इसका एक भी बाल सफेद या काला नहीं कर सकते।

37 तुम्हारी बात इतनी हो- हाँ की हाँ, नहीं की नहीं। जो इस से अधिक है, वह बुराई से उत्पन्न होता है।