पास्का – काल

सातवाँ सप्ताह

आज के संत: संत पास्कल बायलोन फ्राँसिस्कन धर्मसंघी

📒 पहला पाठ: प्रेरित – चरित 25: 13 -21

13  कुछ दिनों बाद राजा अग्रिप्पा और बेरनिस कैसरिया पहुँचे और फेस्तुस का अभिवादन करने आये।

14  वे वहाँ कई दिन रहे और इस बीच फ़ेस्तुस ने पौलुस का मामला राजा के सामने प्रस्तुत करते हुए कहा, “फेलिक्स यहाँ एक व्यक्ति को बन्दीगृह में छोड़ गया है।

15  जब मैं येरूसालेम में था, तो महायाजकों तथा नेताओं ने उस पर अभियोग लगाया और अनुरोध किया कि उसे दण्डाज्ञा दी जाये।

16  मैंने उत्तर दिया, जब तक अभियुक्त को अभियोगियों के आमने-सामने न खड़ा किया जाये और उसे अभियोग के विषय में सफाई देने का अवसर न मिले, तब तक किसी को प्रसन्न करने के लिए अभियुक्त को उसके हवाले करना रोमियों की प्रथा नहीं है’।

17  इसलिए वे यहाँ आये और मैंने दूसरे ही दिन अदालत में बैठ कर उस व्यक्ति को बुला भेजा।

18  किंतु जिन अपराधों का मुझे अनुमान था, उनके विषय में उन्होंने उस पर कोई अभियोग नहीं लगाया।

19  उन्हें केवल अपने धर्म से सम्बन्धित कुछ बातों में उस से मतभेद था और ईसा नामक व्यक्ति के विषय में, जो मर चुका है, किन्तु पौलुस जिसके जीवित होने का दावा करता है।

20  मैं यह वाद-विवाद सुन कर असमंजस में पड़ गया। इसलिए मैंने पौलुस से पूछा कि क्या तुम येरूसालेम जाने को तैयार हो, जिससे वहाँ इन बातों के विषय में तुम्हारा न्याय किया जाये।

21  किन्तु पौलुस ने आवेदन किया कि सम्राट् का फैसला हो जाने तक उसे बन्दीगृह में रहने दिया जाये। इसलिए मैंने आदेश दिया कि जब तक मैं उसे कैसर के पास न भेजूँ, तब तक वह बन्दीगृह में रहे।”

📙 सुसमाचार : संत योहन 21: 15-19

15 जलपान के बाद ईसा ने सिमोन पेत्रुस से कहा, “सिमोन योहन के पुत्र! क्या इनकी अपेक्षा तुम मुझे अधिक प्यार करते हो?” उसने उन्हें उत्तर दिया, “जी हाँ प्रभु! आप जानते हैं कि मैं आप को प्यार करता हूँ”। उन्होंने पेत्रुस से कहा, “मेरे मेमनों को चराओ”।

16 ईसा ने दूसरी बार उस से कहा, “सिमोन, योहन के पुत्र! क्या तुम मुझे प्यार करते हो?” उसने उत्तर दिया, “जी हाँ प्रभु! आप जानते हैं कि मैं आप को प्यार करता हूँ”। उन्होंने पेत्रुस से कहा, “मेरी भेडों को चराओ”।

17 ईसा ने तीसरी बार उस से कहा, “सिमोन योहन के पुत्र! क्या तुम मुझे प्यार करते हो?” पेत्रुस को इस से दुःख हुआ कि उन्होंने तीसरी बार उस से यह पूछा, ’क्या तुम मुझे प्यार करते हो’ और उसने ईसा से कहा, “प्रभु! आप को तो सब कुछ मालूम है। आप जानते हैं कि मैं आपको प्यार करता हूँ।“ ईसा ने उससे कहा, मेरी भेड़ों को चराओ”।

18 “मैं तुम से यह कहता हूँ – जवानी में तुम स्वयं अपनी कमर कस कर जहाँ चाहते थे, वहाँ घूमते फिरते थे; लेकिन बुढ़ापे में तुम अपने हाथ फैलाओगे और दूसरा व्यक्ति तुम्हारी कमर कस कर तुम्हें वहाँ ले जायेगा। जहाँ तुम जाना नहीं चाहते।”

19 इन शब्दों से ईसा ने संकेत किया कि किस प्रकार की मृृत्यु से पेत्रुस द्वारा ईश्वर की महिमा का विस्तार होगा। ईसा ने अंत में पेत्रुस से कहा, “मेरा अनुसरण करो”।