सामान्य काल
तैंतीसवाँ सप्ताह
संत पेत्रुस और पौलुस के महामंदिर का प्रतिष्ठान

📙 पहला पाठ: प्रकाशना 1: 1-4; 2: 1-5

1 यह ईसा मसीह की प्रकाशना है। यह उन्हें ईश्वर की ओर से प्राप्त हुई, जिससे वह अपने सेवकों को निकट भविष्य में होने वाली घटनाएं दिखायें। उसने अपने दूत को भेज कर इस प्रकाश्ना का ज्ञान अपने सेवक योहन को कराया।

2 योहन अनुप्रमाणित करता है कि उसने जो कुछ देखा, वह ईश्वर का वचन और ईसा मसीह का साक्ष्य है।

3 धन्य है वह, जो यह भविष्यवाणी पढ़ कर सुनाता है और धन्य हैं वे, जो इसके शब्द सुनते हैं, और इस में लिखी हुई बातों का ध्यान रखते हैं; क्येांकि वह समय निकट आ गया है;

4 एशिया की कलीसियाओं को योहन का सन्देश। जो है, जो था और जो आने वाला है, उसकी ओर से, उसके सिंहासन के सामने उपस्थित रहने वाले सात आत्माओं

5 और ईसा मसीह की ओर से आप लोगों को अनुग्रह और शान्ति प्राप्त हो!

1 “एफेसुस की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिखो-“जो अपने दाहिने हाथ में सातों तारों को धारण किये है और सोने के सात दीपाधारों के बीच घूम रहा है, उसका सन्देश इस प्रकार है:

2 मैं तुम्हारे आचरण, तुम्हारे परिश्रम और धैर्य से परिचित हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम दुष्टों को सह नहीं सकते। जो अपने को प्रेरित कहते हैं, किन्तु हैं नहीं, तुमने उनकी परीक्षा ली है और उन्हें झूठा पाया है।

3 तुम्हारे पास धैर्य है। तुमने मेरे नाम के कारण कष्ट सहा है और हार नहीं मानी।

4 किन्तु मुझे तुम से शिकायत यह है कि तुमने अपना पहला धर्मोत्साह छोड़ दिया है।

5 इस पर विचार करो कि तुम कितने ऊँचे स्थान से गिरे हो। पश्चाताप करो और पहले जैसा आचरण करो। नहीं तो मैं तुम्हारे पास आ कर तुम्हारा दीपाधार उसके स्थान पर से हटा दूँगा।


📕 सुसमाचार: संत लूकस 18: 35-43

35 जब ईसा येरीख़ो के निकट आ रहे थे, तो एक अन्धा सड़क के किनारे बैठा भीख माँग रहा था।

36 उसने भीड़ को गुज़रते सुन कर पूछा कि क्या हो रहा है।

37 लोगों ने उसे बताया कि ईसा नाज़री इधर से आ रहे हैं।

38 इस पर वह यह कहते हुए पुकार उठा, “ईसा! दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए”।

39 आगे चलने वाले उसे चुप करने के लिए डाँटते थे, किन्तु वह और भी ज़ोर से पुकारता रहा, “दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए”।

40 ईसा ने रुक कर उसे पास ले आने को कहा। जब वह पास आया, तो ईसा ने उस से पूछा,

41 “क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” उसने उत्तर दिया, “प्रभु! मैं फिर देख सकूँ”।

42 ईसा ने उस से कहा, “जाओ, तुम्हारे विश्वास ने तुम्हारा उद्धार किया है”।

43 उसी क्षण उसकी दृष्टि लौट आयी और वह ईश्वर की स्तुति करते हुए ईसा के पीछे हो लिया। सारी जनता ने यह देख कर ईश्वर की स्तुति की।