चालीसा काल
पहला सप्ताह
आज के संत: पियासेंजा के संत कोनार्ड
📒 पहला पाठ: लेवी 19 : 1 – 2, 11 – 18
1 प्रभु मूसा से बोला,
2 ”इस्राएलियों के सारे समुदाय से यह कहो – पवित्र बनो, क्योंकि मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर, पवित्र हूँ।
11 चोरी मत करो, झूठ मत बोलो और अपने पड़ोसी को धोखा मत दो।
12 अपने ईश्वर का नाम अपवित्र करते हुए मेरे नाम की झूठी शपथ मत लो। मैं प्रभु हूँ।
13 तुम न तो अपने पड़ोसी का शोषण करो और न उसके साथ किसी प्रकार का अन्याय। अपने दैनिक मजदूर का वेतन दूसरे दिन तक अपने पास मत रखो।
14 तुम न तो बहरे का तिरस्कार करो और न अन्धे के मार्ग में ठोकर लगाओ, बल्कि अपने ईश्वर पर श्रद्धा रखो। मैं प्रभु हूँ।
15 तुम न्याय करते समय पक्षपात मत करो। तुम न तो दरिद्र का पक्ष लो और न धनी का मन रखो। तुम निष्पक्ष होकर अपने पड़ोसी का न्याय करो।
16 तुम न तो अपने लोगों की बदनामी करो और न अपने पड़ोसी को प्राणदण्ड दिलाओं। मैं प्रभु हूँ।
17 अपने भाई के प्रति अपने हृदय में बैर मत रखो। यदि तुम्हारा पड़ोसी कोई अपराध करे, तो उसे डाँटो। नहीं तो तुम उसके पाप के भागी बनोगे।
18 तुम न तो बदला लो और न तो अपने देश-भाइयों से मनमुटाव रखो। तुम अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो। मैं प्रभु हूँ।
📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 25 : 31 – 46
31 “जब मानव पुत्र सब स्वर्गदुतों के साथ अपनी महिमा-सहित आयेगा, तो वह अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा
32 और सभी राष्ट्र उसके सम्मुख एकत्र किये जायेंगे। जिस तरह चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है, उसी तरह वह लोगों को एक दूसरे से अलग कर देगा।
33 वह भेड़ों को अपने दायें और बकरियों को अपने बायें खड़ा कर देखा।
34 “तब राजा अपने दायें के लोगों से कहेंगे, ’मेरे पिता के कृपापात्रों! आओ और उस राज्य के अधिकारी बनो, जो संसार के प्रारम्भ से तुम लोगों के लिए तैयार किया गया है;
35 क्योंकि मैं भूखा था और तुमने मुझे खिलाया; मैं प्यासा था तुमने मुझे पिलाया; मैं परदेशी था और तुमने मुझको अपने यहाँ ठहराया;
36 मैं नंगा था तुमने मुझे पहनाया; मैं बीमार था और तुम मुझ से भेंट करने आये; मैं बन्दी था और तुम मुझ से मिलने आये।’
37 इस पर धर्मी उन कहेंगे, ’प्रभु! हमने कब आप को भूखा देखा और खिलाया? कब प्यासा देखा और पिलाया?
38 हमने कब आपको परदेशी देखा और अपने यहाँ ठहराया? कब नंगा देखा और पहनाया ?
39 कब आप को बीमार या बन्दी देखा और आप से मिलने आये?”
40 राजा उन्हें यह उत्तरदेंगे, ’मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – तुमने मेरे भाइयों में से किसी एक के लिए, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए ही किया’।
41 “तब वे अपने बायें के लोगों से कहेंगे, ’शापितों! मुझ से दूर हट जाओ। उस अनन्त आग में जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गई है;
42 क्योंकि मैं भूखा था और तुम लोगों ने मुझे नहीं खिलाया; मैं प्यासा था और तुमने मुझे नहीं पिलाया;
43 मैं परदेशी था और तुमने मुझे अपने यहाँ नहीं ठहराया; मैं नंगा था और तुमने मुझे नहीं पहनाया; मैं बीमार और बन्दी था और तुम मुझ से नहीं मिलने आये’।
44 इस पर वे भी उन से पूछेंगे, ’प्रभु! हमने कब आप को भूखा, प्यासा, परदेशी, नंगा, बीमार या बन्दी देखा और आपकी सेवा नहीं की?”
45 तब राजा उन्हें उत्तर देंगे, ’मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – जो कुछ तुमने मेरे छोटे-से-छोटे भाइयों में से किसी एक के लिए नहीं किया, वह तुमने मेरे लिए भी नहीं किया’।
46 और ये अनन्त दण्ड भोगने जायेंगे, परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।”