चालीसा – काल
पाँचवाँ सप्ताह
आज के संत: संत योसेफ़
📒 पहला पाठ: समूएल का दुसरा ग्रन्थ 7 : 4 – 5, 12 – 14, 16
4 उसी रात प्रभु की वाणी नातान को यह कहते हुए सुनाई पड़ी,
5 “मेरे सेवक दाऊद के पास जाकर कहो – प्रभु यह कहता है: क्या तुम मेरे लिए मन्दिर बनवाना चाहते हो?
12 जब तुम्हारे दिन पूरे हो जायेंगे और तुम अपने पूर्वजों के साथ विश्राम करोगे, तो मैं तुम्हारे पुत्र को तुम्हारा उत्तराधिकारी बनाऊँगा और उसका राज्य बनाये रखूँगा।
13 वही मेरे आदर में एक मन्दिर बनवायेगा और मैं उसका सिंहासन सदा के लिए सुदृढ़ बना दूँगा।
14 मैं उसका पिता होऊँगा, और वह मेरा पुत्र होगा। यदि वह बुराई करेगा, तो मैं उसे दूसरे लोगों की तरह बेंत और कोड़ों से दण्डित करूँगा।
16 इस तरह तुम्हारा वंश और तुम्हारा राज्य मेरे सामने बना रहेगा और उसका सिंहासन अनन्त काल तक सुदृढ़ रहेगा।”
📕 दूसरा पाठ : रोमियों 4 : 13, 16 – 18, 22
13 ईश्वर ने इब्राहीम और उनके वंश से प्रतिज्ञा की कि वे पृथ्वी के उत्तराधिकारी होंगे। यह इसलिए नहीं हुआ कि इब्राहीम ने संहिता का पालन किया, बल्कि इसलिए कि उन्होंने विश्वास किया और ईश्वर ने उन्हें धार्मिक माना है।
16 सब कुछ विश्वास पर और इसलिए कृपा पर भी, निर्भर रहता है। वह प्रतिज्ञा न केवल उन लोगों पर, जो संहिता का पालन करते हैं, बल्कि समस्त वंश पर लागू होती है- उन सबों पर, जो इब्राहीम की तरह विश्वास करते हैं।
17 इब्राहीम हम सबों के पिता हैं। जैसा कि लिखा है-मैंने तुम को बहुत-से राष्ट्रों का पिता नियुक्त किया है। ईश्वर की दृष्टि में इब्राहीम हमारे पिता हैं। उन्होंने उस ईश्वर में विश्वास किया, जो मृतकों को पुनर्जीवित करता है और जो नहीं है, उसे भी अस्तित्व में लाता है।
18 इब्राहीम ने निराशाजनक परिस्थिति में भी आशा रख कर विश्वास किया और वह बहुत-से राष्ट्रों के पिता बन गये, जैसा कि उन से कहा गया था- तुम्हारे असंख्य वंशज होंगे।
22 इस विश्वास के कारण ईश्वर ने उन्हें धार्मिक माना है।
📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 1: 16 – 18, 21 – 24
16 याकूब से मरियम का पति यूसुफ़, और मरियम से ईसा उत्पन्न हुए, जो मसीह कहलाते हैं।
17 इस प्रकार इब्राहीम से दाऊद तक कुल चैदह पीढ़ियाँ हैं, दाऊद से बाबुल- निर्वासन तक चैदह पीढ़ियाँ और बाबुल -निर्वासन से मसीह तक चैदह पीढ़ियाँ।
18 ईसा मसीह का जन्म इस प्रकार हुआ। उनकी माता मरियम की मँगनी यूसुफ़ से हुई थी, परन्तु ऐसा हुआ कि उनके एक साथ रहने से पहले ही मरियम पवित्र आत्मा से गर्भवती हो गयी।
21 वे पुत्र प्रसव करेंगी और आप उसका नाम ईसा रखेंगे, क्योंकि वे अपने लोगों को उनके पापों से मुक्त करेगा।”
22 यह सब इसलिए हुआ कि नबी के मुख से प्रभु ने जो कहा था, वह पूरा हो जाये –
23 देखो, एक कुँवारी गर्भवती होगी और पुत्र प्रसव करेगी, और उसका नाम एम्मानुएल रखा जायेगा, जिसका अर्थ हैः ईश्वर हमारे साथ है।
24 यूसुफ़ नींद से उठ कर प्रभु के दूत की आज्ञानुसार अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया।