सामान्य काल
तैंतीसवाँ सप्ताह
आज के संत: ग्रेगोरी अद्भुत कार्यकर्ता, धर्मवीर

📙 पहला पाठ: प्रकाशना 3: 1-6, 14-22

1 “सारदैस की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिखो- “जो ईश्वर के सातों आत्माओं और सातों तारों को धारण किये है, उसका सन्देश इस प्रकार है: मैं तुम्हारे आचरण से परिचित हूँ। लोग तुम्हें जीवित मानते हैं, किन्तु तुम तो मर चुके हो।

2 जागो! तुम में जो जीवन शेष है और बुझने-बुझने को है, उस में प्राण डालो। मैंने तुम्हारे आचरण को अपने ईश्वर की दृष्टि में अपूर्ण पाया है।

3 तुमने जो शिक्षा स्वीकार की और सुनी, उसे याद रखो, उसका पालन करो और पश्चात्ताप करो। यदि तुम नहीं जागोगे, तो मैं चोर की तरह आऊँगा और तुम्हें मालूम नहीं हैं कि मैं किस घड़ी तुम्हारे पास आ जाऊँगा।

4 सारदैस में तुम्हारे यहाँ कुछ ऐसे व्यक्ति भी है, जिन्होंने अपने वस्त्र दूषित नहीं किये हैं। वे उजले वस्त्र पहन कर मेरे साथ टहलेंगे, क्योंकि वे इसके योग्य हैं।

5 “विजयी इस प्रकार उजले वस्त्र पहनेगा। मैं जीवन-ग्रन्थ में से उसका नाम नहीं मिटाऊँगा, बल्कि अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के सामने उसे स्वीकार करूँगा।

6 जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।

14 लौदीकिया की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिखो- “आमेन, विश्वसनीय तथा सच्चे साक्षी, ईश्वर की सृष्टि के मूलस्रोत का सन्देश इस प्रकार हैः

15 मैं तुम्हारे आचरण से परिचित हूँ। तुम न तो ठंडे हो और न गर्म। कितना अच्छा होता कि तुम ठंडे या गर्म होते!

16 लेकिन न तो तुम गर्म हो और न ठंडे, बल्कि कुनकुने हो, इसलिए मैं तुम को अपने मुख से उगल दूँगा।

17 तुम यह कहते हौ- मैं धनी हूँ, मैं समृद्ध हो गया, मुझे किसी बात की कमी नहीं, और तुम यह नहीं समझते कि तुम अभागे हो, दयनीय हो, दरिद्र, अन्धे और नंगे हो।

18 मेरी बात मानो। मुझ से आग में तपाया हुआ सोना खरीद कर धनी हो जाओ; उजले वस्त्र खरीद कर पहन लो और अपने नंगेपन की लज्जा ढँक लो; अंजन खरीद कर आँखों पर लगाओं, जिससे तुम देख सको।

19 मैं जिन सबों को प्यार करता हूँ, उन्हें डाँटता और दण्डित करता हूँ। इसलिए उत्साही बनो और पश्चात्ताप करो।

20 मैं द्वार के सामने खड़ा हो कर खटखटाता हूँ। यदि कोई मेरी वाणी सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके यहाँ आ कर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ।

21 मैं विजयी को अपने साथ उसी तरह अपने सिंहासन पर विराजमान होने का अधिकार दूँगा, जिस तरह मैं विजयी हो कर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर विराजमान हूँ।

22 जिसके कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।


📕 सुसमाचार: संत लूकस 19: 1-10

1 ईसा येरीख़ो में प्रवेश कर आगे बढ़ रहे थे।

2 ज़केयुस नामक एक प्रमुख और धनी नाकेदार

3 यह देखना चाहता था कि ईसा कैसे हैं। परन्तु वह छोटे क़द का था, इसलिए वह भीड़ में उन्हें नहीं देख सका।

4 वह आगे दौड़ कर ईसा को देखने के लिए एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी रास्ते से आने वाले थे।

5 जब ईसा उस जगह पहुँचे, तो उन्होंने आँखें ऊपर उठा कर ज़केयुस से कहा, “ज़केयुस! जल्दी नीचे आओ, क्योंकि आज मुझे तुम्हारे यहाँ ठहरना है”।

6 उसने, तुरन्त उतर कर आनन्द के साथ अपने यहाँ ईसा का स्वागत किया।

7 इस पर सब लोग यह कहते हुए भुनभुनाते रहे, “वे एक पापी के यहाँ ठहरने गये”।

8 ज़केयुस ने दृढ़ता से प्रभु से कहा, “प्रभु! देखिए, मैं अपनी आधी सम्पत्ति ग़रीबों को दूँगा और मैंने जिन लोगों के साथ किसी बात में बेईमानी की है, उन्हें उसका चौगुना लौटा दूँगा”।

9 ईसा ने उस से कहा, “आज इस घर में मुक्ति का आगमन हुआ है, क्योंकि यह भी इब्राहीम का बेटा है।

10 जो खो गया था, मानव पुत्र उसी को खोजने और बचाने आया है।”