पास्का – काल

पांचवा सप्ताह

आज के संत : संत अथनास धर्माध्यक्ष, धर्माचार्य

📒 पहला पाठ: प्रेरित – चरित 15 : 7 – 21

7 जब बहुत वाद-विवाद हो चुका था, तो पेत्रुस ने उठ कर यह कहा:

“भाइयो! आप जानते हैं कि ईश्वर ने प्रारम्भ से ही आप लोगों में से मुझे चुन कर निश्चय किया कि गै़र-यहूदी मेरे मुख से सुसमाचार का वचन सुनें और विश्वास करें।

8 ईश्वर मनुष्य का हृदय जानता है। उसने उन लोगों को हमारे ही समान पवित्र आत्मा प्रदान किया।

9 इस प्रकार उसने उनके पक्ष में साक्ष्य दिया और विश्वास द्वारा उसका हृदय शुद्ध कर हम में और उन में कोई भेद नहीं किया।

10 जो जूआ न तो हमारे पूर्वज ढोने में समर्थ थे और न हम, उसे शिष्यों के कन्धों पर लाद कर आप लोग अब ईश्वर की परीक्षा क्यों लेते हैं?

11 हमारा विश्वास तो यह है कि हम, और वे भी, प्रभु ईसा की कृपा द्वारा ही मुक्ति प्राप्त करेंगे।”

12 सब चुप हो गये और वे बरनाबास तथा पौलुस की बातें सुनते रहे, जो उन चिन्हों तथा चमत्कारों के विषय में बता रहे थे, जिन्हें ईश्वर ने उनके द्वारा ग़ैर-यहूदियों के बीच दिखाया था।

13 जब वे बोल चुके थे, तो याकूब ने कहा, “भाइयो! मेरी बात सुनिए।

14 सिमोन ने हमें बताया कि प्रारम्भ से ही ईश्वर ने किस प्रकार ग़ैर-यहूदियों में अपने लिए एक प्रजा चुनने की कृपा की।

15 यह नबियों की शिक्षा के अनुसार ही है; क्योंकि लिखा है:

16 इसके बाद में लौट कर दाऊद का गिरा हुआ घर फिर ऊपर उठाऊँगा। मैं उसके खँड़हरों का पुननिर्माण करूँगा और उसे फिर खडा़ करूँगा,

17 जिससे मानव जाति के अन्य लोग- अर्थात् सभी राष्ट्र, जिन्हें मैंने अपनाया है- प्रभु की खोज में लगे रहें। यह कथन उस प्रभु का है, जो ये कार्य सम्पन्न करता है।

18 ये कार्य प्राचीन काल से ज्ञात हैं।

19 “इसलिए मेरा विचार यह है कि जो ग़ैर-यहूदी ईश्वर की ओर अभिमुख होते हैं, उन पर अनावश्यक भार न डाला जाये,

20 बल्कि पत्र लिख कर उन्हें आदेश दिया जाये कि वे देवमूर्तियों पर चढ़ाये हुए माँस से, व्यभिचार, गला घोंटे हुए पशुओं के माँस और रक्त से परहेज़ करें;

21 क्योंकि प्राचीनकाल से नगर-नगर में मूसा के प्रचारक विद्यमान हैं और उनकी संहिता प्रत्येक विश्राम-दिवस को सभागृहों में पढ़ कर सुनायी जाती है।

📙 सुसमाचार : सन्त योहन 15 : 9 – 11

9 जिस प्रकार पिता ने मुझ को प्यार किया है, उसी प्रकार मैंने भी तुम लोगों को प्यार किया है। तुम मेरे प्रेम से दृढ बने रहो।

10 यदि तुम मेरी आज्ञओं का पालन करोगे तो मेरे प्रेम में दृढ बने रहोगे। मैंने भी अपने पिता की आज्ञाओं का पालन किया है और उसके प्रेम में दृढ बना रहता हूँ।

11 मैंने तुम लोगों से यह इसलिये कहा है कि तुम मेरे आनंद के भागी बनो और तुम्हारा आनंद परिपूर्ण हो।