सामान्य – काल

ग्यारहवाँ सप्ताह

आज के संत : संत सिलवेरियुस पोप, शहीद

📒पहला पाठ : प्रवक्ता 48: 1 – 14

1 तब एलियाह अग्नि की तरह प्रकट हुए। उनकी वाणी धधकती मशाल के सदृश थी।

2 उन्होंने उनके देश में अकाल भेजा और अपने धर्मोत्साह में उनकी संख्या घटायी।

3 उन्होंने प्रभु के वचन से आकाश के द्वार बन्द किये और तीन बार आकाश से अग्नि गिरायी।

4 एलियाह! आप अपने चमत्कारों के कारण कितने महान् है! आपके सदृश होने का दावा कौन कर सकता है!

5 आपने सर्वोच्च प्रभु की आज्ञा से एक मनुष्य को मृत्यु और अधोलोक से वापस बुलाया।

6 आपने राजाओें का सर्वनाश किया, प्रतिष्टित लोगों केा गिरा दिया और सहज ही उनका बल तोड़ दिया।

7 आपने सीनई पर्वत पर दोषारोपण और होरेब पर्वत पर दण्डाज्ञा सुनी।

8 आपने प्रतिशोध करने वाले राजाओं का और अपने उत्तराधिकारियों के रूप में नबियों का अभिशेक किया।

9 आप अग्नि की आँधी में अग्निमय अश्वों के रथ में आरोहित कर लिये गये।

10 आपके विषय में लिखा है, कि आप निर्धारित समय पर चेतावनी देने आयेंगे, जिससे ईश्वरीय प्रकोप भड़कने से पहले ही आप उसे शान्त करें, पिता और पुत्र का मेल करायें और इस्राएल के वंशों का पुनरुद्धार करें।

11 धन्य हैं वे, जिन्होंने आपके दर्शन किये, जो आपके प्रेम से सम्मानित हुए!

12 हमें तो जीवन मिला है, किन्तु मृत्यु के बाद हमें आपके सदृश नाम नहीं मिलेगा।

13 जब एलियाह बवण्डर में ओझल हो गये, तो एलीषा को उनकी आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त हुई। वे अपने जीवनकाल में किसी भी शासक से नहीं डरते थे। कोई भी मनुष्य उन्हें अपने वश में नहीं कर सका।

14 कोई भी कार्य उनकी शक्ति के परे नहीं था और मृत्यु के बाद भी उनके शरीर में नबी का सामर्थ्य विद्यमान था।

📙सुसमाचार : संत मती 6 : 7 – 15

7 “प्रार्थना करते समय ग़ैर-यहूदियों की तरह रट नहीं लगाओ।

वे समझते हैं कि लम्बी-लम्बी प्रार्थनाएँ करने से हमारी सुनवाई

होती है।

8 उनके समान नहीं बनो, क्योंकि तुम्हारे माँगने से पहले ही

तुम्हारा पिता जनता है कि तुम्हें किन-किन चीज़ों की ज़रूरत है।

9 तो इस प्रकार प्रार्थना किया करो—स्वर्ग में विराजमान हमारे

पिता! तेरा नाम पवित्र माना जाये।

10 तेरा राज्य आये। तेरी इच्छा जैसे स्वर्ग में, वैसे पृथ्वी पर भी पूरी हो।

11 आज हमारा प्रतिदिन का आहार हमें दे।

12 हमारे अपराध क्षमा कर, जैसे हमने भी अपने अपराधियों को क्षमा किया है

13 और हमें परीक्षा में न डाल, बल्कि बुराई से

हमें बचा।

14 “यदि तुम दूसरों के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा

 स्वर्गिक पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।

15 परन्तु यदि तुम दूसरों को क्षमा नहीं करोगे,

तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा नहीं करेगा।