सामान्य – काल
तीसरा रविवार
आज के संत: संत विन्सेंट पिलोत्ती उपयाजक
📒 पहला पाठ: 2 समूएल 5: 1-7, 10
1 इस्राएल के सभी वंशों ने हेब्रोन में दाऊद के पास आकर कहा, “देखिए, हम आपके रक्त-सम्बन्धी हैं।
2 जब साऊल हम पर राज्य करते थे, तब पहले भी आप ही इस्राएलियों को युद्ध के लिए ले जाते और वापस लाते थे। प्रभु ने आप से कहा है, ‘तुम ही मेरी प्रजा इस्राएल के चरवाहा, इस्राएल के शासक बन जाओगे।”
3 इस्राएल के सभी नेता हेब्रोन में राजा के पास आये और दाऊद ने हेब्रोन में प्रभु के सामने उनके साथ समझौता कर लिया। उन्होंने दाऊद का इस्राएल के राजा के रूप में अभिषेक किया।
4 जब दाऊद राजा बना, तो उसकी उम्र तीस वर्ष की थी और वह चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा।
5 उसने हेब्रोन में साढ़े सात वर्ष तक यूदा पर राज्य किया और येरूसालेम में तैंतीस वर्ष तक समस्त इस्राएल और यूदा पर राज्य किया।
6 राजा ने अपने सैनिकों के साथ येरूसालेम जा कर यूबसियों पर, जो वहाँ के निवासी थे, आक्रमण किया। उन्होंने दाऊद से कहा, “तुम यहाँ प्रवेश नहीं करोगे। अन्धे और लँगड़े तुम को भगा देंगे।” कहने का अभिप्राय यह था कि दाऊद यहाँ कभी प्रवेश नहीं कर सकेग।
7 किन्तु दाऊद ने सियोन के क़िले पर अधिकार कर लिया और उसका नाम दाऊदनगर रखा।
10 दाऊद की शक्ति निरन्तर बढ़ती गयी, क्योंकि प्रभु, विश्वमण्डल का ईश्वर उसका साथ देता रहा।
📙 सुसमाचार: संत मारकुस: 3: 22-30
22 येरूसालेम से आये हुए शास्त्री कहते थे, “उसे बेलजे़बुल सिद्ध है” और “वह नरकदूतों के नायक की सहायता से नरकदूतों को निकालता है”।
23 ईसा ने उन्हें अपने पास बुला कर यह दृष्टान्त सुनाया, “शैतान शैतान को कैसे निकाल सकता है?
24 यदि किसी राज्य में फूट पड़ गयी हो, तो वह राज्य टिक नहीं सकता।
25 यदि किसी घर में फूट पड़ गयी हो, तो वह घर टिक नहीं सकता।
26 और यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करे और उसके यहाँ फूट पड़ गयी हो, तो वह टिक नहीं सकता, और उसका सर्वनाश हो गया है।
27 “कोई किसी बलवान् के घर में घुस कर उसका सामान तब तक नहीं लूट सकता, जब तक कि वह उस बलवान् को न बाँध ले। इसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है।
28 “मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – मनुष्य चाहे जो भी पाप या ईश-निन्दा करें, उन्हें सब की क्षमा मिल जायेगी;
29 परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा करने वाले को कभी भी क्षमा नहीं मिलेगी। वह अनन्त पाप का भागी है।”
30 उन्होंने यह इसीलिए कहा कि कुछ लोग कहते थे, “उसे अपदूत सिद्ध है”।