सामान्य – काल

सातवाँ सप्ताह

आज की संत : कस्तिया की संत रीता धर्मसंघनी

📒 पहला पाठ: याकूब 4 : 11 – 17

11 भाइयो! आप एक दूसरे की निन्दा नहीं करें। जो अपने भाई की निन्दा करता या अपने भाई का न्याय करता है, वह संहिता की निन्दा और न्याय करता है। यदि आप संहिता का न्याय करते हैं, तो आप संहिता के पालक नहीं, बल्कि न्यायकर्ता बन बैठते हैं।

12 केवल एक ही विधायक और एक ही न्यायकर्ता है, जो बचाने और नष्ट करने में समर्थ है। अपने पड़ोसी का न्याय करने वाले आप कौन हैं?

13 आप लोग जो यह कहते हैं, “हम आज या कल अमुक नगर जायेंगे, एक वर्ष तक वहाँ रह कर व्यापार करेंगे और धन कमायेंगे”, मेरी बात सुनें।

14 आप नहीं जानते कि कल आपका क्या हाल होगा। आपका जीवन एक कुहरा मात्र है- वह एक क्षण दिखाई दे कर लुप्त हो जाता है।

15 आप लोगों को यह कहना चाहिए, “यदि ईश्वर की इच्छा होगी, तो हम जीवित रहेंगे और यह या वह काम करेंगे”।

16 किन्तु आप अपनी धृष्टता पर घमण्ड करते हैं। इस प्रकार का घमण्ड बुरा है।

17 जो मनुष्य यह जानता है कि उसे क्या करना चाहिए, किन्तु नहीं करता, उसे पाप लगता है।

 📙 सुसमाचार : संत मारकुस 9 : 38 – 40

38 योहन ने उन से कहा, “गुरुवर! हमने किसी को आपका नाम ले कर अपदूतों को निकालते देखा और हमने उसे रोकने की चेष्टा की, क्योंकि वह हमारे साथ नहीं चलता”।

39 परन्तु ईसा ने उत्तर दिया, “उसे मत रोको; क्योंकि कोई ऐसा नहीं, जो मेरा नाम ले कर चमत्कार दिखाये और बाद में मेरी निन्दा करें।

40 जो हमारे विरुद्ध नहीं है, वह हमारे साथ ही है।