सामान्य – काल

वर्ष का बारहवाँ रविवार

आज के संत : संत जोसेफ कफ़ासो पुरोहित

📒पहला पाठ : अय्यूब (योब) 38: 1-4, 8-11

1 प्रभु ने आँधी में से अय्यूब को इस प्रकार उत्तर दिया:

2 निरर्थक बातों द्वारा कौन मेरी योजना पर आक्षेप करता है?

3 शूरवीर की तरह कमर कस कर प्रस्तुत हो जाओ। मैं प्रश्न करूँगा और तुम मुझे सिखलाओ।

4 जब मैंने पृथ्वी की नींव डाली, तो तुम कहाँ थे? यदि तुम इतने समझदार हो, तो मुझे बता दो!

8 जब समुद्र गर्त्त में से फूट निकलता था, तो किसने द्वार लगा कर उसे रोका था?

9 मैंने उसे बादलों की चादर पहना दी थी और कुहरे के वस्त्रों में लपेट लिया था।

10 मैंने उसकी सीमाओं को निश्चित किया था और द्वार एवं सिटकिनी लगा कर

11 उस से यह कहा था, “तू यहीं तक आ सकेगा, आगे नहीं। तेरी तरंगों का घमण्ड यहीं चूर कर दिया जायेगा”।

📘 दूसरा पाठ : 2 कुरिन्थियों 5 : 14-17

14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें प्रेरित करता है। हम यह समझ गये हैं, कि जब एक सबों के लिए मर गया, तो सभी मर गये हैं।

15 मसीह सबों के लिए मरे, जिससे जो जीवित है, वे अब से अपने लिए नहीं, बल्कि उनके लिए जीवन बितायें, जो उनके लिए मर गये और जी उठे हैं।

16 इसलिए हम अब से किसी को भी दुनिया की दृष्टि से नहीं देखते। हमने मसीह को पहले दुनिया की दृष्टि से देखा, किन्तु अब हम ऐसा नहीं करते।

17 इसका अर्थ यह है कि यदि कोई मसीह के साथ एक हो गया है, तो वह नयी सृष्टि बन गया है। पुरानी बातें समाप्त हो गयी हैं और सब कुछ नया हो गया है।

📙 सुसमाचार : संत मारकुस 4: 35-41

35 उसी दिन, सन्ध्या हो जाने पर, ईसा ने अपने शिष्यों से कहा, “हम उस पार चलें”।

36 लोगों को विदा करने के बाद शिष्य ईसा को उसी नाव पर ले गये, जिस पर वे बैठे हुए थे। दूसरी नावें भी उनके साथ चलीं।

37 उस समय एकाएक झंझावात उठा। लहरें इतने ज़ोर से नाव से टकरा नहीं थीं कि वह पानी से भरी जा रही थी।

38 ईसा दुम्बाल में तकिया लगाये सो रहे थे। शिष्यों ने उन्हें जगा कर कहा, “गुरुवर! हम डूब रहे हैं! क्या आप को इसकी कोई चिन्ता नहीं?”

39 वे जाग गये और उन्होंने वायु को डाँटा और समुद्र से कहा, “शान्त हो! थम जा!” वायु मन्द हो गयी और पूर्ण शान्ति छा गयी।

40 उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “तुम लोग इस प्रकार क्यों डरते हो ? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं हैं?”

41 उन पर भय छा गया और वे आपस में यह कहते रहे, “आखिर यह कौन है? वायु और समुद्र भी इनकी आज्ञा मानते हैं।”