सामान्य काल
उनतीसवाँ सप्ताह
आज के संत: कापेस्ट्रानो के संत योहन पुरोहित, धर्मवीर

📙 पहला पाठ: एफ़ेसियों 3: 2-12

2 आप लोगों ने अवश्य सुना होगा कि ईश्वर ने आप लोगों की भलाई के लिए मुझे अपनी कृपा का सेवा-कार्य सौंपा है।

3 उसने मुझ पर वह रहस्य प्रकट किया है, जिसका मैं संक्षिप्त विवरण ऊपर दे चुका हूँ।

4 उसे पढ़ कर आप लोग जान सकते हैं कि मैं मसीह का रहस्य समझता हूँ।

5 वह रहस्य पिछली पीढ़ियों में मनुष्य को नहीं बताया गया था और अब आत्मा के द्वारा उसके पवित्र प्रेरितों और नबियों का प्रकट किया गया है।

6 वह रहस्य यह है कि सुसमाचार के द्वारा यहूदियों के साथ गैर-यहूदी एक ही विरासत के अधिकारी हैं, एक ही शरीर के अंग हैं और ईसा मसीह-विषयक प्रतिज्ञा के सहभागी हैं।

7 ईश्वर ने अपने सामर्थ्य के अधिकार से मुझे यह कृपा प्रदान की कि मैं उस सुसमाचार का सेवक बनूँ।

8 मुझे, जो सतों में सब से छोटा हूँ, यह वरदान मिला है कि मैं गैर-यहूदियों को मसीह की अपार कृपानिधि का सुसमाचार सुनाऊँ

9 और मुक्ति-विधान का वह रहस्य पूर्ण रूप से प्रकट करूँ, जिसे समस्त विश्व के सृष्टिकर्ता ने अब तक गुप्त रखा था।

10 इस तरह, कलीसिया के माध्यम से स्वर्ग के दूत ईश्वर की बहुविध प्रज्ञा का ज्ञान प्राप्त करेंगे।

11 ईश्वर ने अनन्त काल से जो उद्देश्य अपने मन में रखा, उसने उसे हमारे प्रभु ईसा मसीह द्वारा पूरा किया।

12 हम मसीह में विश्वास करते हैं और इस कारण हम पूरे भरोसे के साथ निर्भय हो कर ईश्वर के पास जाते हैं।


📕 सुसमाचार: संत लूकस 12: 39-48

39 यह अच्छी तरह समझ लो-यदि घर के स्वामी को मालूम होता कि चोर किस घड़ी आयेगा, तो वह अपने घर में सेंध लगने नहीं देता।

40 तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी तुम उसके आने की नहीं सोचते, उसी घड़ी मानव पुत्र आयेगा।”

41 पेत्रुस ने उन से कहा, “प्रभु! क्या आप यह दृष्टान्त हमारे लिए कहते हैं या सबों के लिए?”

42 प्रभु ने कहा, “कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान् कारिन्दा है, जिसे उसका स्वामी अपने नौकर-चाकरों पर नियुक्त करेगा ताकि वह समय पर उन्हें रसद बाँटा करे?

43 धन्य हैं वह सेवक, जिसका स्वामी आने पर उसे ऐसा करता हुआ पायेगा!

44 मैं तुम से यह कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर नियुक्त करेगा।

45 परन्तु यदि वह सेवक अपने मन में कहे, ’मेरा स्वामी आने में देर करता है’ और वह दासदासियों को पीटने, खाने-पीने और नशेबाजी करने लगे,

46 तो उस सेवक का स्वामी ऐसे दिन आयेगा, जब वह उसकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा होगा और ऐसी घड़ी जिसे वह जान नहीं पायेगा। तब स्वामी उसे कोड़े लगवायेगा और विश्वासघातियों का दण्ड देगा।

47 “अपने स्वामी की इच्छा जान कर भी जिस सेवक ने कुछ तैयार नहीं किया और न उसकी इच्छा के अनुसार काम किया, वह बहुत मार खायेगा।

48 जिसने अनजाने ही मार खाने का काम किया, वह थोड़ी मार खायेगा। जिसे बहुत दिया गया है, उस से बहुत माँगा जायेगा और जिसे बहुत सौंपा गया है, उस से अधिक माँगा जायेगा।