सामान्य काल
पच्चीसवाँ सप्ताह
आज के संत : पियेटोमसिया के संत पाद्रे पियो पुरोहित, धर्मसंघी
📙पहला पाठ: सूक्ति ग्रंथ 3: 27-34
27 पुत्र! यदि यह तुम्हारी शक्ति के बाहर न हो, तो जिसके आभारी हो, उसका उपकार करो।
28 यदि तुम दे सकते हो, तो अपने पड़ोसी से यह न कहो, “चले जाओ! फिर आना! मैं तुम्हें कल दूँगा।”
29 जो पड़ोसी तुम पर विश्वास रखता है, उसके विरुद्ध षड्यन्त्र मत रचो।
30 जिसने तुम्हारे साथ कोई अन्याय नहीं किया, उस मनुष्य से अकारण झगड़ा मत करो।
31 विधर्मी से ईर्ष्या मत करो और उसके किसी मार्ग पर पैर न रखो;
32 क्योंकि प्रभु दुष्टों से घृणा करता और सदाचारियों को अपने मित्र बना लेता है।
33 दुष्ट के घर पर प्रभु का अभिशाप पड़ता है, किन्तु वह धर्मी के घर को आशीर्वाद देता है।
34 प्रभु घमण्डियों को नीचा दिखाता और दीनों को अपना कृपापात्र बना लेता है।
📕 सुसमाचार: संत लूकस 8: 16-18
16 “कोई दीपक जला कर बरतन से नहीं ढकता या पलंग के नीचे नहीं रखता, बल्कि वह उसे दीवट पर रख देता है, जिससे भीतर आने वाले उसका प्रकाश देख सकें।
17 “ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है, जो प्रकट नहीं होगा और ऐसा कुछ भी गुप्त नहीं है, जो नहीं फैलेगा और प्रकाश में नहीं आयेगा।
18 तो इसके सम्बन्ध में सावधान रहो कि तुम किस तरह सुनते हो; क्योंकि जिसके पास कुछ है, उसी को और दिया जायेगा और जिसके पास कुछ नहीं है, उस से वह भी ले लिया जायेगा, जिसे वह अपना समझता है।