सामान्य काल
वर्ष का चौंतीसवाँ रविवार
राजराजेश्वर खीस्त येसु महोत्सव
📙 पहला पाठ: दानिएल 7: 13-14
13 तब मैंने रात्रि के दृश्य में देखा कि आकाश के बादलों पर मानवपुत्र-जैसा कोई आया। वह वयोवृद्ध के यहाँ पहुँचा और उसके सामने लाया गया।
14 उसे प्रभुत्व, सम्मान तथा राजत्व दिया गया। सभी देश, राष्ट्र और भिन्न-भिन्न भाषा-भाषी उसकी सेवा करेंगे। उसका प्रभुत्व अनन्त है। वह सदा ही बना रहेगा। उसके राज्य का कभी विनाश नहीं होगा।
📘 दूसरा पाठ: प्रकाशना 1: 5-8
5 और ईसा मसीह की ओर से आप लोगों को अनुग्रह और शान्ति प्राप्त हो! मसीह विश्वसनीय साक्षी, पुनर्जीवित मृतकों में से पहलौठे और पृथ्वी के राजाओं के अधिराज हैं। वह हम को प्यार करते हैं। उन्होंने अपने रक्त से हमें पापों से मुक्त किया।
6 और अपने ईश्वर और पिता के लिए हमें याजकों का राजवंश बनाया। उनकी महिमा और उनका सामर्थ्य अनन्त काल तक बना रहे! आमेन!
7 देखो, वही बादलों पर आने वाले हैं। सब लोग उन्हें देखेंगे। जिन्होंने उन को छेदा, वे भी उन्हें देखेंगे और पृथ्वी के सभी राष्ट्र उन पर विलाप करेंगे। यह निश्चित है। आमेन!
8 जो है, जो था और जो आने वाला है, वही सर्वशक्तिमान् प्रभु-ईश्वर कहता है- आल्फा और ओमेगा (आदि और अन्त ) मैं हूँ।
📕 सुसमाचार: संत योहन 18: 33-37
33 तब पिलातुस ने फिर भवन में जा कर ईसा को बुला भेजा और उन से कहा, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?”
34 ईसा ने उत्तर दिया, “क्या आप यह अपनी ओर से कहते हैं या दूसरों ने आप से मेरे विषय में यह कहा है?”
35 पिलातुस ने कहा, “क्या मैं यहूदी हूँ? तुम्हारे ही लोगों और महायाजकों ने तुम्हें मेरे हवाले किया। तुमने क्या किया है।”
36 ईसा ने उत्तर दिया, “मेरा राज्य इस संसार का नहीं है। यदि मेरा राज्य इस संसार का होता तो मेरे अनुयायी लडते और मैं यहूदियों के हवाले नहीं किया जाता। परन्तु मेरा राज्य यहाँ का नहीं है।”
37 इस पर पिलातुस ने उन से कहा, “तो तुम राजा हो?” ईसा ने उत्तर दिया, “आप ठीक ही कहते हैं। मैं राजा हूँ। मैं इसलिये जन्मा और इसलिये संसार में आया हूँ कि सत्य के विषय में साक्ष्य पेश कर सकूँ। जो सत्य के पक्ष में है, वह मेरी सुनता है।”