सामान्य – काल
सातवाँ सप्ताह
आज की संत : संत अर्बन, संत पापा ग्रेगोरी VII धन्य बेड़, पुरोहित
📒 पहला पाठ: याकूब 5 : 13 – 20
13 यदि आप लोगों में कोई कष्ट में हो, तो वह प्रार्थना करे। कोई प्रसन्न हो, तो भजन गाये।
14 कोई अस्वस्थ हो, तो कलीसिया के अध्यक्षों को बुलाये और वे प्रभु के नाम पर उस पर तेल का विलेपन करने के बाद उसके लिए प्रार्थना करें।
15 वह विश्वासपूर्ण प्रार्थना रोगी को बचायेगी और प्रभु उसे स्वास्थ्य प्रदान करेगा। यदि उसने पाप किया है, तो उसे क्षमा मिलेगी।
16 इसलिए आप लोग एक दूसरे के सामने अपने-अपने पाप स्वीकार करें और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें, जिससे आप स्वथ हो जायें। धर्मात्मा की भक्तिमय प्रार्थना बहुत प्रभावशाली होती है।
17 एलियस हमारी ही तरह निरे मनुष्य थे। उन्होंने आग्रह के साथ इसलिए प्रार्थना की कि पानी नहीं बरसे और साढ़े तीन वर्ष तक पृथ्वी पर पानी नहीं बरसा।
18 उन्होंने दुबारा प्रार्थना की। स्वर्ग से पानी बरसा और पृथ्वी पर फसल उगने लगी।
19 मेरे भाइयो! यदि आप लोगों में कोई सच्चे मार्ग से भटके और कोई दूसरा उसे वापस ले आये,
20 तो यह समझें कि जो किसी पापी को कुमार्ग से वापस ले आता है, वह उसकी आत्मा को मृत्यु से बचाता है और बहुत-से पाप ढाँक देता है।
📙 सुसमाचार : संत मारकुस 10 : 13 – 16
13 लोग ईसा के पास बच्चों को लाते थे, जिससे वे उन पर हाथ रख दें; परन्तु शिष्य लोगों को डाँटते थे।
14 ईसा यह देख कर बहुत अप्रसन्न हुए और उन्होंने कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो। उन्हें मत रोको, क्योंकि ईश्वर का राज्य उन-जैसे लोगों का है।
15 मैं तुम से यह कहता हूँ – जो छोटे बालक की तरह ईश्वर का राज्य ग्रहण नहीं करता, वह उस में प्रवेश नहीं करेगा।”
16 तब ईसा ने बच्चों को छाती से लगा लिया और उन पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया।