चालीसा – काल
पुण्य सप्ताह

आज के संत: संत लुड्गर सक्सनी के प्रेरित

📒 पहला पाठ: इसायाह 49 : 1 – 6

1) दूरवर्ती द्वीप मेरी बात सुन¨। दूर के राष्ट्रों! कान लगा कर सुनो। प्रभु ने मुझे जन्म से पहले ही बुलाया, मैं माता के गर्भ में ही था, जब उसने मेरा नाम लिया।

2) उसने मेरी वाणी को अपनी तलवार बना दिया और मुझे अपने हाथ की छाया में छिपा लिया। उसने मुझे एक नुकीला तीर बना दिया और मुझे अपने तरकश में रख लिया

3) उसने मुझे से कहा, “तुम मेरे सेवक हो, मैं तुम में अपनी महिमा प्रकट करूँगा“।

4) मैं कहता था, “मैंने बेकार ही काम किया है, मैंने व्यर्थ ही अपनी शक्ति खर्च की है। प्रभु ही मेरा न्याय करेगा, मेरा पुरस्कार उसी के हाथ में है।“

5) परन्तु जिसने मुझे माता के गर्भ से ही अपना सेवक बना लिया है, जिससे मैं याकूब को उसके पास ले चलूँ और उसके लिए इस्राएल को इकट्ठा कर लूँ, वही प्रभु बोला; उसने मेरा सम्मान किया, मेरा ईश्वर मेरा बल है।

6) उसने कहाः “याकूब के वंशों का उद्धार करने तथा इस्राएल के बचे हुए लोगों को वापस ले आने के लिए ही तुम मेरे सेवक नहीं बने। मैं तुम्हें राष्ट्रों की ज्योति बना दूँगा, जिससे मेरा मुक्ति-विधान पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जाये।“

📙 सुसमाचार : सन्त योहन 13: 21 – 33, 36 – 38

21 यह कहते-कहते ईसा का मन व्याकुल हो उठा और उन्होंने कहा, मैं तुम लोगो से यह कहता हूँ तुम में से ही एक मुझे पकडवा देगा।

22 शिष्य एक दूसरे को देखते रहे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे किसके विषय में कह रहे हैं।

23 ईसा का एक शिष्य, जिसे वे प्यार करते थे, उनकी छाती के सामने लेटा हुआ था।

24 सिमोन पेत्रुस ने उस से इशारे से यह कहा, “पूछो तो, वे किसके विषय में कह रहे हैं?”

25 इसलिये वह ईसा की छाती पर झुककर उन से बोला, “प्रभु! वह कौन है?”

26 ईसा ने उत्तर दिया, “मैं जिसे रोटी का टुकडा थाली में डुबो कर दूँगा वही है”। और उन्होंने रोटी डुबो कर सिमोन इसकारियोती के पुत्र यूदस को दी।

27 यूदस ने उसे ले लिया और शैतान उस में घुस गया। तब ईसा ने उस से कहा, “तुम्हे जो करना है, वह जल्द ही करो”।

28 भोजन करने वालों में कोई नहीं समझ पाया कि ईसा ने उस से यह क्यों कहा।

29 यूदस के पास थैली थी, इसलिये कुछ लोग यह समझते थे कि ईसा ने उस से यह कहा होगा कि हमें पर्व के लिये जो कुछ जो कुछ चाहिए, वह खरीदना या गरीबों को कुछ दान देना।

30 टुकड़ा लेकर यूदस तुरन्त बाहर चला गया। उस समय रात हो चली थी।

31 यूदस के चले जाने के बाद ईसा ने कहा, अब मानव पुत्र महिमान्वित हुआ और उसके द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हुई।

32 यदि उसके द्वारा ईश्वर की महिमा प्रकट हुई, तो ईश्वर भी उसे अपने यहाँ महिमान्वित करेगा और वह शीघ्र ही उसे महिमान्वित करेगा।

33 बच्चों! मैं और थोडे ही समय तक तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढोगे और मैंने यहूदियों से जो कहा था, अब तुम से भी वही कहता हूँ – मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।”

36 सिमोन पेत्रुस ने उन से कहा, “प्रभु! आप कहाँ जा रहे हैं”? ईसा ने उसे उत्तर दिया, “मैं जहाँ जा रहा हूँ, वहाँ तुम इस समय मेरे पीछे नहीं आ सकते। तुम वहाँ बाद में आओगे।

37 पेत्रुस ने उन से कहा, “प्रभु! मैं इस समय आपके पीछे क्यों नही आ सकता? मैं आपके लिये अपने प्राण दे दूँगा।”

38 ईसा ने उत्तर दिया, “तुम मेरे लिये अपने प्राण देागे? मैं तुम से यह कहता हूँ मुर्गे के बाँग देने से पहले ही तुम मुझे तीन बार अस्वीकार करोगे।