सामान्य काल
उनतीसवाँ सप्ताह
आज के संत: संत एवरिस्तुस संत पापा

📙 पहला पाठ: एफ़ेसियों 4: 7-16

7 मसीह ने जिस मात्रा में देना चाहा, उसी मात्रा में हम में प्रत्येक को कृपा प्राप्त हुई है।

8 इसलिए धर्मग्रन्थ कहता है- वह ऊँचाई पर चढ़ा और बन्दियों को ले गया। उसने मनुष्यों को दान दिये।

9 वह चढ़ा – इसका अर्थ यह है कि वह पहले पृथ्वी के निचले प्रदेशों में उतरा।

10 जो उतरा, वह वही है जो आकाश से भी ऊपर चढ़ा, जिससे वह सब कुछ परिपूर्ण कर दे।

11 उन्होंने कुछ लोगों को प्रेरित, कुछ को नबी, कुछ को सुसमाचार-प्रचारक और कुछ को चरवाहे तथा आचार्य होने का वरदान दिया।

12 इस प्रकार उन्होंने सेवा-कार्य के लिए सन्तों को नियुक्त किया, जिससे मसीह के शरीर का निर्माण तब तक होता रहे,

13 जब तक हम विश्वास तथा ईश्वर के पुत्र के ज्ञान में एक नहीं हो जायें और मसीह की परिपूर्णता के अनुसार पूर्ण मनुष्यत्व प्राप्त न कर लें।

14 इस प्रकार हम बालक नहीं बने रहेंगे और भ्रम में डालने के उद्देश्य से निर्मित धूर्त मनुष्यों के प्रत्येक सिद्धान्त के झोंके से विचलित हो कर बहकाये नहीं जायेंगे।

15 हम प्रेम से प्रेरित हो कर सत्य बोलें और इस तरह मसीह की परिपूर्णता प्राप्त करें। वह हमारे शीर्ष हैं।

16 और उन से समस्त शरीर को बल मिलता है। वह शरीर अपनी सब सन्धियों द्वारा सुसंघटित हो कर प्रत्येक अंग की समुचित सक्रियता से अपनी परिपूर्णता तक पहुँचता और प्रेम द्वारा अपना निर्माण करता है।


📕 सुसमाचार: संत लूकस 13: 1-9

1 उस समय कुछ लोग ईसा को उन गलीलियों के विषय में बताने आये, जिनका रक्त पिलातुस ने उनके बलि-पशुओं के रक्त में मिला दिया था।

2 ईसा ने उन से कहा, “क्या तुम समझते हो कि ये गलीली अन्य सब गलीलियों से अधिक पापी थे, क्योंकि उन पर ही ऐसी विपत्ति पड़ी?

3 मैं तुम से कहता हूँ, ऐसा नहीं है; लेकिन यदि तुम पश्चात्ताप नहीं करोगे, तो सब-के-सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे।

4 अथवा क्या तुम समझते हो कि सिल़ोआम की मीनार के गिरने से जो अठारह व्यक्ति दब कऱ मर गये, वे येरूसालेम के सब निवासियों से अधिक अपराधी थे?

5 मैं तुम से कहता हूँ, ऐसा नहीं है; लेकिन यदि तुम पश्चात्ताप नहीं करोगे, तो सब-के-सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे।”

6 तब ईसा ने यह दृष्टान्त सुनाया, “किसी मनुष्य की दाखबारी में एक अंजीर का पेड़ था। वह उस में फल खोजने आया, परन्तु उसे एक भी नहीं मिला।

7 तब उसने दाखबारी के माली से कहा, ’देखो, मैं तीन वर्षों से अंजीर के इस पेड़ में फल खोजने आता हूँ, किन्तु मुझे एक भी नहीं मिलता। इसे काट डालो। यह भूमि को क्यों छेंके हुए हैं?’

8 परन्तु माली ने उत्तर दिया, ’मालिक! इस वर्ष भी इसे रहने दीजिए। मैं इसके चारों ओर खोद कर खाद दूँगा।

9 यदि यह अगले वर्ष फल दे, तो अच्छा, नहीं तो इसे काट डालिएगा’।”