सामान्य काल
इक्कीसवाँ सप्ताह
आज के संत : संत मोनिका संत अगुस्तिन की माँ
📙पहला पाठ: 2 थेसलनीकियों 2: 1-3, 14-17
1 भाइयो! हमारे प्रभु ईसा मसीह के पुनरागमन और उनके सामने हम लोगों के एकत्र होने के विषय में हमारा एक निवेदन, यह है।
2 किसी भविष्यवाणी, वक्तव्य अथवा पत्र से, जो मेरे कहे जाते हैं, आप लोग आसानी से यह समझ कर न उत्तेजित हों या घबरायें कि प्रभु का दिन आ चुका है।
3 कोई आप लोगों को किसी भी तरह न बहकाये। वह दिन तब तक नहीं आ सकता, जब तक पहले महान् धर्मत्याग न हो जाये और वह पापी मनुष्य, विनाश का वह पुत्र प्रकट न हो,
14 उसने हमारे सुसमाचार द्वारा आप को बुलाया, जिससे आप हमारे प्रभु ईसा मसीह की महिमा के भागी बनें।
15 इसलिए, भाइयो! आप ढारस रखें और उस शिक्षा में दृढ़ बने रहें, जो आप को हम से मौखिक रूप से या पत्र द्वारा मिली है।
16 हमारे प्रभु ईसा मसीह स्वयं तथा ईश्वर, हमारा पिता – जिसने हमें इतना प्यार किया और हमें चिरस्थायी सान्त्वना तथा उज्जवल आशा का वरदान दिया है-
17 आप लोगों को सान्त्वना देते रहें तथा हर प्रकार के भले काम और बात में सुदृढ़़ बनाये रखें।
📕 सुसमाचार: संत मत्ती 23: 23-26
23 “ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियों! धिक्कार तुम लोगों को! तुम पुदीने, सौंफ और जीरे का दशमांश तो देते हो, किन्तु न्याय, दया और ईमानदारी, संहिता की मुख्य बातों की उपेक्षा करते हो। इन्हें करते रहना और उनकी भी उपेक्षा नहीं करना तुम्हारे लिए उचित था।
24 अन्धे नेताओ! तुम मच्छर छानते हो, किन्तु ऊँट निगल जाते हो।
25 “ढोंगी शास्त्रियो और फ़रीसियों! धिक्कार तुम लोगों को! तुम प्याले और थाली को बाहर से तो माँजते हो, किन्तु भीतर वे लूट और असंयम से भरे हुए हैं।
26 अन्धे फ़रीसी! पहले भीतर से प्याले को साफ़ कर लो, जिससे वह बाहर से भी साफ़ हो जाये।