सामान्य काल
सोलहवाँ सप्ताह
आज के संत: संत इन्नोसेंट पोप, धर्मवीर

📙पहला पाठ:यिरमियाह 7: 1-11

1 प्रभु की वाणी यिरमियाह को यह कहते हुए सुनाई दीः

2 “प्रभु के मन्दिर के फाटक पर खड़ा हो कर यह घोषित करो- यूदा के लोगो! तुम, जो प्रभु की आराधना करने के लिए इस फाटक से प्रवेश कर रहे हो, प्रभु की वाणी सुनो।

3 विश्वमण्डल का प्रभु, इस्राएल का ईश्वर यह कहता है: अपना सारा आचरण सुधारो और मैं तुम लोगों को यहाँ रहने दूँगा।

4 तुम कहते रहते हो- ’यह प्रभु का मन्दिर है! प्रभु का मन्दिर है! प्रभु का मन्दिर है!’ इस निरर्थक नारे पर भरोसा मत रखो।

5 यदि तुम अपना सारा आचरण सुधारोगे, एक दूसरे को धोखा नहीं दोगे,

6 परदेशी, अनाथ और विधवा पर अत्याचार नहीं करोगे, यहाँ निर्दोष का रक्त नहीं बहाओगे और अपने सर्वनाश के लिए पराये देवताओं के अनुयायी नहीं बनोगे,

7 तो मैं तुम्हें यहाँ इस देश में रहने दूँगा, जिसे मैंने सदा के लिए तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान किया है।

8 “किन्तु तुम लोग निरर्थक नारों पर भरोसा रखते हो।

9 तुम चोरी, हत्या और व्यभिचार करते हो। तुम झूठी शपथ खाते हो। तुम बाल को होम चढ़ाते हो और ऐसे पराये देवताओं के अनुयायी बनते हो, जिन्हें तुम पहले नहीं जानते थे।

10 इसके बाद तुम यहाँ, इस मन्दिर में, जो मेरे नाम से प्रसिद्ध है, मेरे सामने उपस्थित होने और यह कहने का साहस करते हो- ’हम सुरक्षित हैं’। फिर भी तुम अधर्म करते जाते हो।

11 क्या तुम लोग इस मन्दिर को, जो मेरे नाम से प्रसिद्ध है लुटेरों का अड्डा समझते हो? यहाँ जो हो रहा है, मैं वह सब देखता रहता हूँ। यह प्रभु की वाणी है।


📕सुसमाचार: संत मत्ती 13: 24-30

24 ईसा ने उनके सामने एक और दृष्टान्त प्रस्तुत किया,”स्वर्ग का राज्य उस मनुष्य के सदृश है, जिसने अपने खेत में अच्छा बीज बोया था।

25 परन्तु जब लोग सो रहे थे, तो उसका बैरी आया और गेहूँ में जंगली बीज बो कर चला गया।

26 जब अंकुर फूटा और बालें लगीं, तब जंगली बीज भी दिखाई पड़ा।

27 इस पर नौकरों ने आ कर स्वामी से कहा, ‘मालिक, क्या आपने अपने खेत में अच्छा बीज नहीं बोया था? उस में जंगली बीज कहाँ से आ पड़ा?’

28 स्वामी ने उन से कहा, ‘यह किसी बैरी का काम है’। तब नौकरों ने उस से पूछा, ‘क्या आप चाहते हैं कि हम जा कर जंगली बीज बटोर लें?

29 स्वामी ने उत्तर दिया, ‘नहीं, कहीं ऐसा न हो कि जंगली बीज बटोरते समय तुम गेहूँ भी उखाड़ डालो। कटनी तक दोनों को साथ-साथ बढ़ने दो।

30 कटनी के समय मैं लुनने वालों से कहूँगा-पहले जंगली बीज बटोर लो और जलाने के लिए उनके गट्ठे बाँधो। तब गेहूँ मेरे बखार में जमा करो’।”