सामान्य काल
वर्ष का तीसवाँ रविवार
आज के संत: संत फ्रूमेन्तियुस धर्माध्यक्ष

📙 पहला पाठ: यिरमियाह 31: 7-9

7 क्योंकि प्रभु यह कहता है- “याकूब के लिए आनन्द के गीत गाओ। जो राष्ट्रों में श्रेष्ठ है, उसका जयकार करो; उसका स्तुतिगान सुनाओ और पुकार कर कहो: ’प्रभु ने अपनी प्रजा का, इस्राएल के बचे हुए लोगों का उद्धार किया है’।

8 देखो, में उन्हें उत्तरी देश से वापस ले आऊँगा, पृथ्वी के सीमान्तों से उन्हें एकत्र कर लूँगा। उन में अन्धे, लँगड़े, गर्भवती और प्रसूता स्त्रियाँ हैं। वे बड़ी संख्या में लौट रहे हैं।

9 वे रोते हुए चले गये थे, मैं उन्हें सांत्वना दे कर वापस ले आऊँगा। मैं उन्हें जलधाराओं के पास ले चलूँगा, मैं उन्हें समतल मार्ग से ले चलूँगा, जिससे उन्हें ठोकर न लगे ; क्योंकि मैं इस्राएल के लिए पिता-जैसा हूँ और एफ़्राईम मेरा पहलौठा है।


📘 दूसरा पाठ: इब्रानियों 5: 1-6

1 प्रत्येक प्रधानयाजक मनुष्यों में से चुना जाता और ईश्वर-सम्बन्धी बातों में मनुष्यों का प्रतिनिधि नियुक्त किया जाता है, जिससे वह भेंट और पापों के प्रायश्चित की बलि चढ़ाये।

2 वह अज्ञानियों और भूले-भटके लोगों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार कर सकता है, क्योंकि वह स्वयं दुर्बलताओं से घिरा हुआ है।

3 यही कारण है कि उसे न केवल जनता के लिए, बल्कि अपने लिए भी पापों के प्रायश्चित की बलि चढ़ानी पड़ती है।

4 कोई अपने आप यह गौरवपूर्ण पद नहीं अपनाता। प्रत्येक प्रधानयाजक हारुन की तरह ईश्वर द्वारा बुलाया जाता है।

5 इसी प्रकार, मसीह ने अपने को प्रधानयाजक का गौरव नहीं प्रदान किया। ईश्वर ने उन से कहा, – तुम मेरे पुत्र हो, आज मैंने तुम्हें उत्पन्न किया है।

6 अन्यत्र भी वह कहता है- तुम मेलखिसेदेक की तरह सदा पुरोहित बने रहोगे।


📕 सुसमाचार: संत मारकुस 10: 46-52

46 वे येरीख़ो पहुँचे। जब ईसा अपने शिष्यों तथा एक विशाल जनसमूह के साथ येरीख़ो से निकल रहे थे, तो तिमेउस का बेटा बरतिमेउस, एक अन्धा भिखारी, सड़क के किनारे बैठा हुआ था।

47 जब उसे पता चला कि यह ईसा नाज़री हैं, तो वह पुकार-पुकार कर कहने लगा, “ईसा, दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए”!

48 बहुत-से लोग उसे चुप करने के लिए डाँटते थे; किन्तु वह और भी जोर से पुकारता रहा, “दाऊद के पुत्र! मुझ पर दया कीजिए”।

49 ईसा ने रुक कर कहा, “उसे बुलाओ”। लोगों ने यह कहते हुए अन्धे को बुलाया, “ढ़ारस रखो। उठो! वे तुम्हें बुला रहे हैं।”

50 वह अपनी चादर फेंक कर उछल पड़ा और ईसा के पास आया।

51 ईसा ने उस से पूछा, “क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूँ?” अन्धे ने उत्तर दिया, “गुरुवर! मैं फिर देख सकूँ”।