सामान्य काल
इक्कीसवाँ सप्ताह
आज के संत : हिप्पो के संत अगुस्तिन धर्माध्यक्ष, धर्माचार्य


📙पहला पाठ: 2 थेसलनीकियों 3: 6-10, 16-18

6 भाइयों! हम आप को प्रभु ईसा मसीह के नाम पर आदेश देते हैं कि आप उन भाइयों से अलग रहें, जो काम नहीं करते और उस परम्परा के अनुसार नहीं चले, जो आप लोगों को मुझ से प्राप्त हुई।

7 आप लोगों को मेरा अनुकरण करना चाहिए- आप यह स्वयं जानते हैं। आपके बीच रहते समय हम अकर्मण्य नहीं थे।

8 हमने किसी के यहाँ मुफ़्त में रोटी नहीं खायी, बल्कि हम बड़े परिश्रम से दिन-रात काम करते रहे, जिससे आप लोगों में किसी के लिए भी भार न बनें।

9 इमें इसका अधिकार नहीं था- ऐसी बात नहीं, बल्कि हम आपके सामने एक आदर्श रखना चाहते थे, जिसका आप अनुकरण कर सकें।

10 आपके बीच रहते समय हमने आप को यह नियम दिया- ’जो काम करना नहीं चाहता, उसे भोजन नहीं दिया जाये’।

16 शान्ति का प्रभु स्वयं आप लोगों को हर समय और हर प्रकार शान्ति प्रदान करता रहे! प्रभु आप सब के साथ हो!

17 मैं, पौलुस, अपने हाथ से यह नमस्कार लिख देता हूँ। यह मेरे सब पत्रों की पहचान है। यह मेरी लिखावट है।

18 हमारे प्रभु ईसा मसीह की कृपा आप सब पर बनी रहे!


📕 सुसमाचार: संत मत्ती 23: 27-32

27 “ढोंगी शास्त्रियो ओर फ़रीसियों! धिक्कार तुम लोगों को! तुम पुती हुई कब्रों के सदृश हो, जो बाहर से तो सुन्दर दीख पड़ती हैं, किन्तु भीतर से मुरदों की हड्डियों और हर तरह की गन्दगी से भरी हुई हैं।

28 इसी तरह तुम भी बाहर से लागों को धार्मिक दीख पड़ते हो, किन्तु भीतर से तुम पाखण्ड और अधर्म से भरे हुए हो।।

29 “ढोंगी शास्त्रियो और फ़रीसियों! धिक्कार तुम लोगों को! तुम नबियों के मक़बरे बनवा कर और धर्मात्माओं के स्मारक सँवार कर

30 कहते हो, “यदि हम अपने पुरखों के समय जीवित होते, तो हम नबियों की हत्या करने में उनका साथ नहीं देते’।

31 इस तरह तुम लोग अपने विरुद्ध यह गवाही देते हो कि तुम नबियों के हत्यारों की सन्तान हो।

32 तो, अपने पुरखों की कसर पूरी कर लो।