सामान्य काल
सत्रहवाँ सप्ताह
आज के संत: संत मार्था संत मेरी, संत लाज़रूस

📙पहला पाठ:यिरमियाह 13: 1-11

1 प्रभु ने मुझ से यह कहा, “तुम जा जा कर छालटी की पेटी ख़रीदो और कमर में बाँध लो, किन्तु उसे पानी में नहीं डुबाओ“।

2 मैंने प्रभु के आदेशानुसार पेटी खरीद कर कमर में बाँध ली।

3 प्रभु ने मुझ से दूसरी बार कहा,

4 “तुमने जो पेटी खरीदी, उसे कमर में बाँध कर तुरन्त फ़रात नदी जाओ और उसे वहाँ किसी चट्टान की दरार में छिपा दो।“

5 मैंने प्रभु के आदेशानुसार फ़रात जा कर वहाँ पेटी छिपा दी।

6 बहुत समय बाद प्रभु ने मुझ से कहा, “फ़रात जा कर वह पेटी ले आओ, जिसे तुमने मेरे आदेशानुसार वहाँ छिपाया।“

7 मैंने फ़रात जा कर उस जगह का पता लगाया, जहाँ मैंने पेटी छिपायी थी। मैंने उसे निकाल कर देखा कि वह बिगड़ गयी है और किसी काम की नहीं रह गयी है।

8 तब प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई पड़ी,

9 “प्रभु यह कहता हैः “मैं इसी प्रकार यूदा और येरुसालेम का गौरव नष्ट हो जाने दूँगा।

10 यह दुष्ट प्रजा मेरी एक भी नहीं सुनना चाहती और हठपूर्वक अपनी राह चलती है। यह दूसरे देवताओं की अनुयायी बन कर उनकी उपासना और आराधना करती है। इसलिए यह इस पेटी की तरह किसी काम की नहीं रहेगी ;

11 क्योंकि जिस तरह पेटी मनुष्य की कमर में कस कर बाँधी जाती है, उसी तरह मैंने समस्त इस्राएल और यूदा को अपने से बाँध लिया था, जिससे वे मेरी प्रजा, मेरा गौरव, मेरी कीर्ति और मेरी शोभा बन जायें। किन्तु उन्होंने मेरी एक भी न सुनी।’ यह प्रभु की वाणी है।


📕सुसमाचार: संत लूकस 10: 38 – 42

38 ईसा यात्रा करते-करते एक गाँव आये और मरथा नामक महिला ने अपने यहाँ उनका स्वागत किया।

39 उसके मरियम नामक एक बहन थी, जो प्रभु के चरणों में बैठ कर उनकी शिक्षा सुनती रही।

40 परन्तु मरथा सेवा-सत्कार के अनेक कार्यों में व्यस्त थी। उसने पास आ कर कहा, “प्रभु! क्या यह ठीक समझते हैं कि मेरी बहन ने सेवा-सत्कार का पूरा भार मुझ पर ही छोड़ दिया है?  आप उस से कहिए कि वह मेरी सहायता करे।”

41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, “मरथा! मरथा! तुम बहुत-सी बातों के विषय में चिन्तित और व्यस्त;

42 फिर भी एक ही बात आवश्यक है। मरियम ने सब से उत्तम भाग चुन लिया है; वह उस से नहीं लिया जायेगा।”