ख्रीस्त जयन्ती- काल
प्रभु येसु का पवित्र नाम
📒पहला पाठ: योहन का पहला पत्र 2:29-3:6
29 यदि तुम जानते हो कि वह निष्पाप हैं, तो यह भी समझ लो कि जो धर्माचरण करता है, वह ईश्वर की सन्तान है।
1 पिता ने हमें कितना प्यार किया है! हम ईश्वर की सन्तान कहलाते हैं और हम वास्तव में वही हैं। संसार हमें नहीं पहचानता, क्योंकि उसने ईश्वर को नहीं पहचाना है।
2 प्यारे भाइयो! अब हम ईश्वर की सन्तान हैं, किन्तु यह अभी तक प्रकट नहीं हुआ है कि हम क्या बनेंगे। हम इतना ही जानते हैं कि जब ईश्वर का पुत्र प्रकट होगा, तो हम उसके सदृश बन जायेंगे; क्योंकि हम उसे वैसा ही देखेंगे, जैसा कि वह वास्तव में है।
3 जो उस से ऐसी आशा करता है, उसे वैसा ही शुद्ध बनना चाहिए, जैसा
कि वह शुद्ध है।
4 जो पाप करता है, वह ईश्वर की आज्ञा भंग करता है; क्योंकि पाप तो आज्ञा का उल्लंघन है।
5 तुम जानते हो कि मसीह पाप हरने के लिए प्रकट हुए। उन में कोई पाप नहीं है।
6 जो उन में निवास करता है, वह पाप नहीं करता। जो पाप करता है, उसने उन्हें नहीं देखा है और वह उन्हें नहीं जानता।
📙 सुसमाचार: सन्त योहन 1:29-34
29 दूसरे दिन योहन ने ईसा को अपनी ओर आते देखा और कहा, ‘‘देखो-ईश्वर
का मेमना, जो संसार का पाप हरता है।
30 यह वहीं हैं, जिनके विषय में मैंने कहा, मेरे बाद एक पुरुष आने वाले हैं। वह मुझ से बढ़ कर हैं, क्योंकि वह मुझ से पहले विद्यमान थे।
31 मैं भी उन्हें नहीं जानता था, परन्तु मैं इसलिए जल से बपतिस्मा देने आया हूँ कि वह इस्राएल पर प्रकट हो जायें।’’
32 फिर योहन ने यह साक्ष्य दिया, ‘‘मैंने आत्मा को कपोत के रूप में स्वर्ग से उतरते और उन पर ठहरते देखा।
33 मैं भी उन्हें नहीं जानता था; परन्तु जिसने मुझे जल से बपतिस्मा देने भेजा, उसने मुझ से कहा था, ‘तुम जिन पर आत्मा को उतरते और ठहरते देखोगे, वही पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देते हैं’।
34 मैंने देखा और साक्ष्य दिया कि यह ईश्वर के पुत्र हैं।’’