सामान्य काल
सत्रहवाँ सप्ताह
आज के संत: लोयोला के संत इग्नासियुस पुरोहित, धर्मसंघ-संस्थापक

📙पहला पाठ: यिरमियाह 15: 10, 16-21

10 हाय! माता! आपने मुझे क्यों जन्म दिया? धिक्कार मुझे, क्योंकि सारा देश मुझ से लड़ता-झगड़ता है। मैं न तो किसी को उधार देता और न किसी से उधार लेता हूँ, फिर भी सब मुझे कोसते हैं।

11 प्रभु कहता है, “मैं तुम को विश्वास दिलाता हूँ कि मैं तुम्हारे कल्याण का प्रबंध करूँगा। मैं तुम को विश्वास दिलाता हूँ कि विपत्ति और कष्ट के समय तुम्हारे विरोधी तुम्हारी सहायता माँगेगे।

12 क्या कोई उत्तर का लोहा या काँसा तोड़ सकता है?

13 तुम लोगों ने देश भर में जो असंख्य पाप किये, उनके कारण मैं तुम्हारी सम्पत्ति और भण्डार लुटवाऊँगा।

14 मैं तुम को एक अज्ञात देश में तुम्हारे शत्रुओं का दास बनाऊँगा। मेरी क्रोधाग्नि प्रज्वलित हो कर तुम्हारे विरुद्ध जलती हैं।“

15 प्रभु! तू जानता है, मेरी सहायता कर! मुझ पर अत्याचार करने वालों से बदला चुका। अपनी सहनशीलता के कारण मेरा विनाश न हो। याद कर कि तेरे कारण मेरा अपमान हो रहा है।

16 तेरी वाणी मुझे प्राप्त हुई और मैं उसे तुरंत निगल गया। वह मरे लिए आनंद और उल्लास का विषय थी; क्योंकि तूने मुझे अपनाया विश्वमण्डल के प्रभु-ईश्वर!

17 मैं मनोरंजन करने वालों के साथ बैठ कर आनन्द नहीं मनाता। मैं तुझ से आविष्ट हो कर एकांत में जीवन बिताता रहा; क्योंकि तूने मुझ में अपना क्रोध भर दिया था।

18 मेरी पीड़ा का अंत क्यों नही होता? मेरा घाव क्यों नहीं भरता? तू मेरे लिए उस अविश्वसनीय नदी के सदृश है, जिस में सदा पानी नहीं रहता।

19 इस पर प्रभु ने यह उत्तर दिया, “यदि तुम अपने शब्द वापस लोगे, तो मैं तुम्हें स्वीकार करूँगा और तुम फिर मेरी सेवा करोगे। यदि तुम निरर्थक भाषा नहीं, बल्कि उपयुक्त भाषा का प्रयोग करोगे, तो फिर मेरे प्रवक्ता बनोगे। ये लोग फिर तुम्हारे पास आयेंगे; तुम को इनके पास नहीं जाना होगा।

20 मैं तुम को उस प्रजा के लिए काँसे की अजेय दीवार बनाऊँगा। वे तुम पर आक्रमण करेंगे, किन्तु हमारे विरुद्ध कुछ नहीं कर पायेंगे; क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रह कर तुम्हारी सहायता और रक्षा करूँगा।“ यह प्रभु की वाणी है।

21 “मैं तुम को दुष्टों के हाथ से, उग्र लोगों के पंजे से छुड़ाऊँगा।”


📕सुसमाचार: संत मत्ती 13: 44-46

44 “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए ख़ज़ाने के सदृश है, जिसे कोई मनुष्य पाता है और दुबारा छिपा देता है। तब वह उमंग में जाता और सब कुछ बेच कर उस खेत को ख़रीद लेता है।

45 “फिर, स्वर्ग का राज्य उत्तम मोती खोजने वाले व्यापारी के सदृश है।

46 एक बहुमूल्य मोती मिल जाने पर वह जाता और अपना सब कुछ बेच कर उस मोती को मोल ले लेता है।