सामान्य – काल

तेरहवाँ सप्ताह

आज की संत: संत एलिज़बेथ पुर्तगाल की महारानी

📒पहला पाठ: आमोस – 7:10-17

10 बेतेल के याजक अमस्या ने इस्राएल के राजा यरोबआम के पास यह सन्देश भेजा, “इस्राएल में ही आमोस आपके विरुद्ध षडयन्त्र रच रहा है। देश उसके भाषण सह नहीं सकता,

11 “क्योंकि आमोस ने यह कहा है- यरोबआम तलवार के घाट उतारा जायगा और इस्राएल अपने स्वदेश से निर्वासित किया जायेगा।”

12 बेतेल के याजक अमस्या ने आमोस से कहा, “नबी! यहाँ से चले जाओ। यूदा के देश भाग जाओ। वहाँ भवियवाणी करते हुए अपनी जीविका चलाओ।

13 बेतेल में भवियवाणी करना बन्द करो; क्योंकि यह तो राजकीय पुण्य-स्थान है, यह राज मन्दिर है।”

14 आमेास ने अमस्या को यह उत्तर दिया, “मैं न तो नबी था और न नबी की सन्तान। मैं चरवाहा था और गूलर के पेड़ छाँटने वाला।

15 मैं झुण्ड चरा ही रहा था कि प्रभु ने मुझे बुलाया मुझ से यह कहा, ‘जाओ! मेरी प्रजा इस्राएल के लिए भवियवाणी करो’।

16 अब तुम प्रभु की वाणी सुनो। तुम तो कहते हो- इस्राएल के विरुद्ध भविष्यवाणी मत करो, इसहाक के वंश के विरुद्ध बकवाद मत करो।

17 किन्तु प्रभु यह कहता है। तुम्हारी पत्नी यहाँ नगरवधू बन जायेगी, तुम्हारे पुत्र-पुत्रियाँ तलवार के घाट उतार दिये जायेंगे और तुम्हारी भूमि जरीब द्वारा बाँट दी जायेगी। तुम स्वयं एक अपवित्र देश में मरोगे और इस्राएल अपने स्वदेश से निर्वासित किया जायेगा।”

📙सुसमाचार: संत मत्ती – 9: 1-8

1 ईसा नाव पर बैठ गये और समुद्र पार कर अपने नगर आये।

2 उस समय कुछ लोग खाट पर पड़े हुए एक अर्धांगरोगी को उनके पास ले आये। उनका विश्वास देख कर ईसा ने अर्धांगरोगी से कहा, “बेटा, ढारस रखो! तुम्हारे पाप क्षमा

हो गये हैं।”

3 कुछ शास्त्रियों ने मन में सोचा- यह ईश-निन्दा करता है।

4 उनके ये विचार जान कर ईसा ने कहा, “तुम लोग मन में बुरे विचार क्यों लाते हो?

5 अधिक सहज क्या है- यह कहना, ‘तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं’ अथवा यह कहना, ‘उठो और चलो-फिरो’?

6 किन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार मिला है”- तब वे अर्धांगरोगी से बोले- “उठो और अपना खाट उठा कर घर जाओ”

7 और वह उठ कर अपने घर चला गया।

8 यह देख कर लोगों पर भय छा गया और उन्होंने ईश्वर की स्तुति की, जिसने मनुष्यों को ऐसा अधिकार प्रदान किया था।