सामान्य – काल

आज के संत : संत फ्राँसिस काराचियोलो पुरोहित

📒पहला पाठ 2 पेत्रुस 3 : 12 – 15, 17 – 18

12 और उत्सुकता से इ्रश्वर के दिन की प्रतीक्षा करें। उस दिन आकाश जल कर विलीन हो जायेगा और मूलतत्व ताप के कारण पिघल जायेंगे।

13 हम उसकी पतिज्ञा के आधार पर एक नये आकाश तथा एक नयी पृथ्वी की प्रतीक्षा करते हैं; जहाँ धार्मिकता निवास करेगी।

14 इसलिए, प्यारे भाइयो! इन बातों की प्रतीक्षा करते हुए इस प्रकार प्रयत्न करते रहे कि आप लोग प्रभु की दृष्टि में निष्कलंक, निर्दोष तथा उसके अनुकूल हों।

15 यदि प्रभु अपनी सहनीशलता के कारण देर करते हैं, तो इसे अपनी मुक्ति में सहायक समझें, जैसा कि हमारे भाई पौलुस ने अपने को प्रदत्त प्रज्ञा के अनुसार आप को लिखा।

17 प्रिय भाइयो! मैंने आप लोगों को पहले से ही सचेत किया है। आप सावधान रहें। कहीं ऐसा न हो कि आप उन दुष्टों के बहकावे में आ कर विचलित हो जायें।

18 आप लोग हमारे प्रभु और मुक्तिदाता ईसा मसीह के अनुग्रह और ज्ञान में बढ़ते रहें। उन्हीं को अभी और अनन्त काल तक महिमा! आमेन !

📙सुसमाचार : संत मारकुस 12 : 13 – 17

13 उन्होंने ईसा के पास कुछ फरीसियों और हेरोदियों को भेजा, जिससे वे उन्हें उनकी अपनी बात के फन्दे में फँसाये।

14 वे आ कर उन से बोले, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सत्य बोलते हैं और किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं करते, बल्कि सच्चाई से ईश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। कैसर को कर देना उचित है या नहीं?”

15 हम दें या नहीं दें?” उनकी धूर्तता भाँप कर ईसा ने कहा, “मेरी परीक्षा क्यों लेते हो? एक दीनार ला कर मुझे दिखलाओ।”

16 वे दीनार लाये और ईसा ने उन से पूछा, “यह किसका चेहरा और किसका लेख है?” उन्होंने उत्तर दिया, “कैसर का”।

17 इस पर ईसा ने उन से कहा, “जो कैसर का है, उसे कैसर को दो और जो ईश्वर का है, उसे ईश्वर को”। यह सुन कर वे बड़े अचम्भे में पड़ गये।