आगमन काल
पहला सप्ताह
आज के संत: संत सब्बास मठाध्यक्ष, धर्मवीर

📙 पहला पाठ: इसायाह 26: 1-6

1 उस दिन यूदा देश में यह गीत गाया जायेगाः हमारा नगर सुदृढ़ है। प्रभु ने हमारी रक्षा के लिए प्राचीर और चारदीवारी बनायी है।

2 फाटकों को खोल दो- सद्धर्धी और विश्वासी राष्ट्र प्रवेश करें।

3 तू दृढ़तापूर्वक शान्ति बनाये रखता हैं, क्योंकि इस राष्ट्र को तुझ पर भरोसा है।

4 प्रभु पर सदा भरोसा रखो, क्योंकि वही चिरस्थायी चट्टान है।

5 वह ऊँचाई पर निवास करने वालों को नीचा दिखाता है। वह उनका दुर्गम गढ़ तोड़ कर गिराता और धूल में मिला देता है।

6 अब दीन-हीन और दरिद्र उसे पैरों तले रौंदेंगे।


📕 सुसमाचार: संत मत्ती 7: 21, 24-27

21 “जो लोग मुझे ‘प्रभु! प्रभु! कह कर पुकारते हैं, उन में सब-के-सब स्वर्गराज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। जो मेरे स्वर्गिक पिता की इच्छा पूरी करता है, वही स्वर्गराज्य में प्रवेश करेगा।

24 “जो मेरी ये बातें सुनता और उन पर चलता है, वह उस समझदार मनुष्य के सदृश है, जिसने चट्टान पर अपना घर बनवाया था।

25 पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। तब भी वह घर नहीं ढहा; क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर डाली गयी थी।

26 “जो मेरी ये बातें सुनता है, किन्तु उन पर नहीं चलता, वह उस मूर्ख के सदृश है, जिसने बालू पर अपना घर बनवाया।

27 पानी बरसा, नदियों में बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं। वह घर ढह गया और उसका सर्वनाश हो गया।”