सामान्य – काल
पाँचवाँ सप्ताह

आज की संत: संत आगथा कुँवारी

📒 पहला पाठ: राजाओं का पहला ग्रन्थ 8: 1 – 7, 9 – 13

1 उस समय सुलेमान ने प्रभु के विधान की मंजूशा को दाऊदनगर, अर्थात् सियोन से ले आने के लिए इस्राएल के नेताओं को येरूसालेम बुलाया।
2 इसलिए एतानीम नामक महीने के पर्व के अवसर पर सब इस्राएली सुलेमान के पास एकत्र हो गये।
3 (3-4 याजक और लेवी मंजूषा, दर्शन-कक्ष और शिविर की सब पुण्य सामग्रियाँ उठा कर ले आये।
5 राजा सुलेमान और इस्राएल के समस्त समुदाय ने मंजूषा के सामने असंख्य भेड़ों और साँड़ों की बलि चढ़ायी।
6 याजकों ने प्रभु के विधान की मंजूषा को उसके स्थान पर, परमपावन मन्दिर गर्भ में, केरूबीम के पंखो के नीचे रख दिया।
7 केरूबीम के पंख मंजूषा के स्थान के ऊपर फैले हुए थे और इस प्रकार मंजूषा तथा उसके डण्डों को आच्छादित करते थे।
9 मंजूषा में केवल उस विधान की दो पाटियाँ थीं, जिसे प्रभु ने इस्राएलियों के लिए निर्धारित किया था, जब वे मिस्र देश से निकल रहे थे। मूसा ने होरेब में उन दोनों पाटियों को मंजूषा में रखा था।
10 जब याजक मन्दिरगर्भ से बाहर निकले, तो प्रभु का मन्दिर एक बादल से भर गया
11 और याजक मन्दिर में अपना सेवा-कार्य पूरा करने में असमर्थ थे- प्रभु का मन्दिर प्रभु की महिमा से भर गया था।
12 तब सुुलेमान ने कहा, “प्रभु ने अन्धकारमय बादल में रहने का निश्चय किया है।
13 मैंने तेरे लिए एक भव्य निवास का निर्माण किया है- एक ऐसा मन्दिर, जहाँ तू सदा के लिए निवास करेगा।”

📙 सुसमाचार : सन्त मारकुस 6 : 53 – 56

53 समुद्र के उस पार गेनेसरेत पहुँच कर उन्होंने नाव किनारे लगा दी।
54 ज्यों ही वे भूमि पर उतरे, लोगों ने ईसा को पहचान लिया और वे उस सारे प्रदेश से दौड़ते हुए आये।
55 जहाँ कहीं ईसा का पता चलता था, वहाँ वे चारपाइयों पर पड़े रोगियों को उनके पास ले आते थे।
56 गाँव, नगर या बस्ती, जहाँ कहीं भी ईसा आते थे, वहाँ लोग रोगियों को चैकों पर रख कर अनुनय-विनय करते थे कि वे उन्हें अपने कपड़े का पल्ला भर छूने दें। जितनों ने उनका स्पर्श किया, वे सब-के-सब अच्छे हो गये।