सामान्य – काल

तेरहवाँ सप्ताह

आज की संत: संत मरिया गोरेती कुँवारी, शहीद

📒पहला पाठ: आमोस 9: 11-15

11 “उस दिन मैं दाऊद का टूटा-फूटा हुआ घर फिर खड़ा करूँगा। मैं उसकी दरारें भर दूँगा और उसके खँडहरों का पुनर्निर्माण करूँगा। वह जैसा पहले था, उसी तरह मैं उसे फिर बनवाऊँगा।

12 तब वे एदोम के बचे हुए अंश और उन सब राष्ट्रों को अपने अधिकार में करेंगे, जो पहले मेरे कहलाते थे।” यह उस प्रभु की वाणी है, जो यह सब पूरा करेगा।

13 यह पुभु की वाणी है: “वे दिन आ रहे हैं, जब लुनने वाले के तुरन्त बाद हल चलाने वाला आयेगा और बोने वाले के बाद अंगूर बटोरने वाला। पहाड़ों से अंगूरी की नदियाँ बह निकलेंगी और पहाड़ियों से अंगूरी टपकती रहेगी।

14 तब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के निर्वासितों को वापस ले आऊँगा। वे उजाड़ नगरों का पुनर्निर्माण करेंगे और उन में निवास करेंगे। वे दाखबारियाँ लगा कर अंगूरी पियेंगे और बगीचे रोप कर फल खायेंगे।

15 मैं उन्हें उनकी अपनी भूमि में स्थापित करूँगा और मैं जो भूमि उन्हें प्रदान करूँगा, उस से वे फिर कभी उखाड़े नहीं जायेंगे।” यह तुम्हारे प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

📙सुसमाचार: संत मत्ती 9: 14-17

14 इसके बाद योहन के शिष्य आये और यह बोले, “हम और फ़रीसी उपवास किया करते हैं। आपके शिष्य ऐसा क्यों नहीं करते?”

15 ईसा ने उन से कहा, “जब तक दूल्हा साथ है, क्या बाराती शोक मना सकते हैं? किन्तु वे दिन आयेंगे, जब दूल्हा उन से बिछुड़ जायेगा। उन दिनों वे उपवास करेंगे।

16 “कोई पुराने कपड़े पर कोरे कपड़े का पैबंद नहीं लगाता, क्योंकि वह पैबन्द सिकुड़ कर पुराना कपड़ा फाड़ देता है औरचीर बढ़ जाती है

17 और लोग पुरानी मशकों में नयी अंगूरी नहीं भरते। नहीं तो मशकें फट जाती हैं, अंगूरी बह जाती है और मशकें बरबाद हो जाती हैं। लोग नयी अंगूरी नयी मशकों में भरते हैं। इस तरह दोनों ही बची रहती हैं।”