चालीसा – काल
तीसरा सप्ताह

आज के संत: कोर्बी के संत कोलेट

📒 पहला पाठ: विधि-विवरण 4 : 1, 5 – 9

1) इस्राएलियों मैं जिन नियमों तथा आदेशों की शिक्षा तुम लोगों को आज दे रहा हूँ, उन पर ध्यान दो और उनका पालन करो, जिससे तुम जीवित रह सको और उस देश में प्रवेश कर उसे अपने अधिकार में कर सको, जिसे प्रभु, तुम्हारे पूर्वजों का ईश्वर तुम लोगों को देने वाला है।

2) मैं जो आदेश तुम लोगों को दे रहा हूँ, तुम उन में न तो कुछ बढ़ाओ और न कुछ घटाओ। तुम अपने प्रभु-ईश्वर के आदेशों का पालन वैसे ही करो, जैसे मैं तुम लोगों को देता हूँ।

3) तुमने तो अपनी आँखों से वह सब देखा, जो प्रभु ने बाल-पओर में किया था, अर्थात् प्रभु, तुम्हारे ईश्वर ने बाल-पओर में उन सब को तुम्हारे बीच से नष्ट कर दिया, जो पओर के बाल-देवता के अनुयायी बन गये थे।

4) परन्तु तुम, जो अपने प्रभु-ईश्वर के प्रति ईमानदार बने रहे, तुम सब-के-सब आज तक जीवित हो।

5) देखो, मैं अपने प्रभु-ईश्वर के आदेश के अनुसार तुम लोगों को नियमों तथा आदेशों की शिक्षा दे चुका हूँ। तुम जो देश अपने अधिकार में करने जा रहे हो, वहाँ उनके अनुसार आचरण करो।

9) “सावधान रहो। जो कुछ तुमने अपनी आँखों से देखा है, उसे मत भुलाओ। उसे जीवन भर याद रखो और अपने पुत्र पौत्रों को सिखाओ

📙 सुसमाचार : सन्त मत्ती 5 : 17 – 19

17) “यह न समझो कि मैं संहिता अथवा नबियों के लेखों को रद्द करने आया हूँ। उन्हें रद्द करने नहीं, बल्कि पूरा करने आया हूँ।

18) मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ – आकाश और पृथ्वी भले ही टल जाये, किन्तु संहिता की एक मात्रा अथवा एक बिन्दु भी पूरा हुए बिना नहीं टलेगा।

19) इसलिए जो उन छोटी-से-छोटी आज्ञाओं में एक को भी भंग करता और दूसरों को ऐसा करना सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में छोटा समझा जायेगा। जो उनका पालन करता और उन्हें सिखाता है, वह स्वर्गराज्य में बड़ा समझा जायेगा।