सामान्य – काल
पाँचवाँ सप्ताह
आज के संत: संत गॉन्ज़ालो ग्रेसिया
📒 पहला पाठ: 2 कुरिन्थियों 6: 4 – 10
4 (4-5) हम कष्ट, अभाव, संकट, कोड़ों की मार, कैद और उपद्रव में धीर बने हुए हैं और अथक परिश्रम, जागरण तथा उपवास करते हुए, हर परिस्थिति में, ईश्वर के योग्य सेवक की तरह आचरण करने का प्रयत्न करते हैं।
6 (6-7) हमारी सिफ़ारिश है- निर्दोष, जीवन, अन्तर्दृष्टि, सहनशीलता, मिलनसारी, पवित्र आत्मा के वरदान, निष्कपट प्रेम, सत्य का प्रचार, ईश्वर का सामर्थ्य। हम दाहिने और बायें हाथ में धार्मिकता के शस्त्र लिये संघर्ष करते रहते हैं।
8 सम्मान और अपमान, प्रशंसा और निन्दा- यह सब हमारे भाग्य में है। हम कपटी समझे जाते हैं, किन्तु हम सत्य बोलते हैं।
9 हम नगण्य हैं, किन्तु सब लोग हमें मानते हैं। हम मरने-मरने को हैं, किन्तु हम जीवित हैं। हम मार खाते हैं, किन्तु हमारा वध नहीं होता।
10 हम दुःखी हैं, फिर भी आप हर समय आनन्दित हैं। हम दरिद्र हैं, फिर भी हम बहुतों को सम्पन्न बनाते हैं। हमारे पास कुछ नहीं है; फिर सब कुछ हमारा है।
📙 सुसमाचार : मत्ती 10: 17 – 22
17 “मनुष्यों से सावधान रहो। वे तुम्हें अदालतों के हवाले कर देंगे और अपने सभागृहों में तुम्हें कोडे़ लगायेंगे।
18 तुम मेरे कारण शासकों और राजाओं के सामने पेश किये जाओगे, जिससे मेरे विषय में तुम उन्हें और गै़र-यहूदियों को साक्ष्य दे सको।
19 “जब वे तुम्हें अदालत के हवाले कर रहे हों, तो यह चिन्ता नहीं करोगे कि हम कैसे बोलेंगे और क्या कहेंगे। समय आने पर तुम्हें बोलने को शब्द दिये जायेंगे,
20 क्योंकि बोलने वाले तुम नहीं हो, बल्कि पिता का आत्मा है, जो तुम्हारे द्वारा बोलता है।
21 भाई अपने भाई को मृत्यु के हवाले कर देगा और पिता अपने पुत्र को। संतान अपने माता-पिता के विरुद्ध उठ खड़ी होगी और उन्हें मरवा डालेगी।
22 मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे, किन्तु जो अन्त तक धीर बना रहेगा, उसे मुक्ति मिलेगी।