सामान्य-काल

चौदहवाँ सप्ताह

आज के संत: तोउलूस के संत रेमण्ड

📒 पहला पाठ: होशेआ का ग्रन्थ 2: 16 -18, 21-22

16 “प्रभु की यह वाणी हैः उस समय तुम मुझे ’अपना पति’ कह कर पुकारोगी। तुम फिर कभी मुझे ’अपना बाल’ कह कर नहीं पुकारोगी।

17 मैं उसके होठों के बाल-देवताओं के नाम मिटा दूँगा, जिससे वे फिर कभी याद नहीं रहेंगे।

18 उस समय मैं इस्राएल के पक्ष से वन के पशु-पक्षियों और भूमि पर रेंगेन वाले प्राणियों के साथ व्यवस्थापन स्थापित करूँगा। मैं धनुष, तलवार और युद्धास्त्र तोड दूँगा, जिससे तुम सुख-चैन से जीवन व्यतीत कर सको।

21 “प्रभु की यह वाणी हैः मैं उस दिन उत्तर दूँगा। मैं आकाश को आदेश दूँगा कि वह पृथ्वी पर वर्षा करे;

22 मैं पृथ्वी को आदेश दूँगा, कि वह अन्न, अंगूरी और तेल उत्पन्न करे; मैं यिज्रएल को धनसंपन्न बनाऊँगा।

23 मैं उसे देश की भूमि में पुनः बो दूँूँगा। मैं लो-रूहामाह से प्रेम करूँगाः मैं लो-अम्मी को मेरी प्रजा कह कर पुकारूँगा, और उत्तर में वह कहेगा, ते मेर ईयवर है।”

📙 सुसमाचार: संत मत्ती 9: 18 – 26

18 ईसा उन से ये बातें कह ही रहे थे कि एक अधिकारी आया। उसने यह कहते हुए उन्हें दण्डवत् किया, “मेरी बेटी अभी-अभी मर गयी है। आइए, उस पर हाथ रखिए और वह जी जायेगी।”

19 ईसा उठ कर अपने शिष्यों के साथ उसके पीछे हो लिये।

20 उस समय एक स्त्री ने, जो बारह बरस से रक्तस्राव से पीड़ित थी, पीछे से आ कर ईसा के कपड़े का पल्ला छू लिया;

21 क्योंकि वह मन-ही-मन कहती थी- यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ, तो चंगी हो जाऊँगी।

22 ईसा ने मुड़ कर उसे देख लिया और कहा, “बेटी, ढारस रखो। तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा कर दिया है” और वह स्त्री उसी क्षण चंगी हो गयी।

23 ईसा ने अधिकारी के घर पहुँच कर बाँसुरी बजाने वालों को और लोगों को रोते-पीटते देखा और

24 कहा, “हट जाओ। लड़की नहीं मरी है, सो रही है।” इस पर वे उनकी हँसी उड़ाते रहे।

25 भीड़ बाहर कर दी गयी। तब ईसा ने भीतर जा कर लड़की का हाथ पकड़ा और वह उठ खड़ी हुई।

26 इस बात की चरचा उस इलाक़े के कोने-कोने में फैल गयी।