जुलाई 30, 2023, रविवार के पाठ

वर्ष का सत्रहवाँ सामान्य सप्ताह

📒 पहला पाठ: 1 राजा 3:5, 7-12

गिबओन में प्रभु रात को सुलेमान को स्वप्न में दिखाई दिया। ईश्वर ने कहा, “बताओ, मैं तुम्हें क्या दे दूँ?”  प्रभु! मेरे ईश्वर! तूने अपने इस सेवक को अपने पिता दाऊद के स्थान पर राजा बनाया, लेकिन मैं अभी छोटा हूँ। मैं यह नहीं जानता कि मुझे क्या करना चाहिए। मैं यहाँ तेरी चुनी हुई प्रजा के बीच हूँ। यह राष्ट्र इतना महान् है कि इसके निवासियों की गिनती नहीं हो सकती। अपने इस सेवक को विवेक देने की कृपा कर, जिससे वह न्यायपूर्वक तेरी प्रजा का शासन करे और भला तथा बुरा पहचान सके। नहीं तो, कौन तेरी इस असंख्य प्रजा का शासन कर सकता है?” सुलेमान का यह निवेदन प्रभु को अच्छा लगा। प्रभु ने उसे से कहा, “तुमने अपने लिए न तो लम्बी आयु माँगी, न धन-सम्पत्ति और न अपने शत्रुओं का विनाश। तुमने न्याय करने का विवेक माँगा है। इसलिए मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करूँगा। मैं तुम को ऐसी बुद्धि और ऐसा विवेक प्रदान करता हूँ कि तुम्हारे समान न तो पहले कभी कोई था और न बाद में कभी कोई होगा।

📒 दूसरा पाठ: रोमियों 8:28-30

हम जानते हैं कि जो लोग ईश्वर को प्यार करते हैं और उसके विधान के अनुसार बुलाये गये हैं, ईश्वर उनके कल्याण के लिए सभी बातों में उनकी सहायता करता है; क्योंकि ईश्पर ने निश्चित किया कि जिन्हें उसने पहले से अपना समझा, वे उसके पुत्र के प्रतिरूप बनाये जायेंगे, जिससे उसका पुत्र इस प्रकार बहुत-से भाइयों का पहलौठा हो। उसने जिन्हें पहले से निश्चित किया, उन्हें बुलाया भी है: जिन्हें बुलाया, उन्हें पाप से मुक्त भी किया है और जिन्हें पाप से मुक्त किया, उन्हें महिमान्वित भी किया है।

📒सुसमाचार: संत मत्ती 13:44-52

 “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए ख़ज़ाने के सदृश है, जिसे कोई मनुष्य पाता है और दुबारा छिपा देता है। तब वह उमंग में जाता और सब कुछ बेच कर उस खेत को ख़रीद लेता है। “फिर, स्वर्ग का राज्य उत्तम मोती खोजने वाले व्यापारी के सदृश है। एक बहुमूल्य मोती मिल जाने पर वह जाता और अपना सब कुछ बेच कर उस मोती को मोल ले लेता है। “फिर, स्वर्ग का राज्य समुद्र में डाले हुए जाल के सदृश है, जो हर तरह की मछलियाँ बटोर लाता है। जाल के भर जाने पर मछुए उसे किनारे खींच लेते हैं। तब वे बैठ कर अच्छी मछलियाँ चुन-चुन कर बरतनों में जमा करते हैं और रद्दी मछलियाँ फेंक देते हैं। संसार के अन्त में ऐसा ही होगा। स्वर्गदूत जा कर धर्मियों में से दुष्टों को अलग करेंगे और उन्हें आग के कुण्ड में झोंक देंगे। वहाँ वे लोग रोयेंगे और दाँत पीसते रहेंगे। “क्या तुम लोग ये सब बातें समझ गये?” शिष्यों ने उत्तर दिया, “जी हाँ” ईसा ने उन से कहा, “प्रत्येक शास्त्री, जो स्वर्ग के राज्य के विषय में शिक्षा पा चुका है, उस गृहस्थ के सदृश है, जो अपने ख़जाने से नयी और पुरानी चीज़ें निकालता है”।