उपदेशक ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • पवित्र बाईबल
अध्याय 11
1 अपनी रोटी जलाशय की सतह पर बिखेरो। किसी-न-किसी दिन उसे फिर पा जाओगे।
2 अपान धन सात या आठ लोगों में बाँट दो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि पृथ्वी पर कौन-सी विपत्ति आ पड़ेगी।
3 जब बादल पानी से भर जाते हैं, तो वे पृथ्वी पर बरसते हैं। पेड़ चाहे दक्षिण की ओर गिरे या उत्तर की ओर, वह जहाँ गिरता, वहीं पड़ा रहता है।
4 जो हवा पर ही ध्यान रखता, वह नहीं बोता। जो बादलों की ओर देखता रहता, वह नहीं लुनता।
5 जिस तरह तुम नहीं जानते कि प्राण कहाँ जाते और माता के गर्भ में शरीर कैसे बनता है, उसी तरह तुम ईश्वर का कार्य नहीं समझ सकते, जिसने सब कुछ बनाया है।
6 तुम प्रातः अपने खेत में बीज बोओ और सन्ध्या तक काम करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हें किस काम में सफलता मिलेगी-इस में या उस में, अथवा दोनों में।
7 ज्योति मधुर लगती है और आँखे सूर्य का प्रकाश देख कर प्रसन्न होती हैं।
8 यदि मनुष्य वर्षो तक जीता रहता है, तो उन सबका आनन्द मनाये; किन्तु उसे याद रहे कि बुरे दिनों का अभाव नहीं और जो बाद में आयेगा, वह सब व्यर्थ है।
9 युवक! अपनी जवानी में आनन्द मनाओं अपनी युवावस्था में मनोरंजन करो। अपने हृदय और अपनी आँखों की अभिलाषा पूरी करो, किन्तु याद रखो कि ईश्वर तुम्हारे आचरण का लेखा माँगेगा।
10 अपने हृदय से शोक को निकाल दो और अपने शरीर से कष्ट दूर कर दो, क्योंकि जीवन का प्रभात क्षणभंगुर है।