उपदेशक ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • पवित्र बाईबल
अध्याय 12
1 अपनी जवानी के दिनों में अपने सृष्टिकर्ता को याद रखो: बुरे दिनों के आने से पहले, उन वर्षों के आने से पहले, जिनके विषय में तुम कहोगे- “मुझे उन में कोई सुख नहीं मिला”;
2 उस समय से पहले, जब सूर्य, प्रकाश, चन्द्रमा और नक्षत्र अन्धकारमय हो जायेंगे; और वर्षा के बाद बादल छा जायेंगे;
3 उस समय से पहले, जब घर के रक्षक काँपने लगेंगे, बलवानों का शरीर झुक जायेगा, चबाने वाले इतने कम होंगे कि अपना काम बन्द कर देंगे और जो खिड़कियों से झाँकती हैं, वे धुँधली हो जायेंगी;
4 उस समय से पहले, जब बाहरी दरवाज़े बन्द होंगे, चक्की की आवाज़ मन्द होगी, चिड़ियों की चहचहाहट धीमी पड़ जायेगी और सभी गीत मौन हो जायेंगे;
5 उस समय से पहले, जब ऊँचाई पर चढ़ने से डर लगेगा और सड़कों पर ख़तरे-ही-ख़तरे दिखाई देंगे, जब बादाम का स्वाद फीका पड़ जायेगा, टिड्डियाँ नहीं पचेंगी और चटनी में रुचि नहीं रहेगी, क्योंकि मनुष्य परलोक सिधारने पर है और शोक मनाने वाले सड़क पर आ रहे हैं;
6 उस समय से पहले, जब चाँदी का तार टूट जायेगा और सोने का पात्र गिर पड़ेगा, जब घड़ा झरने के पास फूटेगा और कुएँ का पहिया टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा;
7 उस समय से पहले, जब मिट्टी उस पृथ्वी में मिल जायेगी, जहाँ से वह आयी है और आत्मा ईश्वर के पास लौट जायेगी, जिसने उसे भेजा है।
8 उपदेशक कहता है: व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।
9 उपदेशक न केवल बुद्धिमान था, बल्कि उसने जनता को प्रज्ञा की शिक्षा दी थी। उसने सोचने और परखने के बाद बहुत-सी सूक्तियों का संकलन किया था।
10 उसने सुन्दर सूक्तियों को खोज निकाला था, जिनका सही अर्थ यहाँ लिपिबद्ध किया गया हैं। ये शब्द प्रमाणित है।
11 बुद्धिमान के शब्द अंकुश-जैसे हैं; उसकी सूक्तियों का संग्रह मज़बूती से ठोंकी कीलों-जैसा है। ये सब एक ही चारवाहे की देन हैं।
12 पुत्र! सावधान रहो, उन में कुछ नहीं जोड़ो। अनेक ग्रन्थों के निर्माण का अन्त नहीं होता और अधिक अध्ययन करने से शरीर थक जाता है।
13 ईश्वर पर श्रद्धा रखो और आज्ञाओं का पालन करो: यही मनुष्य का कर्तव्य है;
14 क्योंकि ईश्वर हर कार्य का न्याय करेगा चाहे वह कितना गुप्त क्यों न हो और वह उसे भला या बुरा सिद्ध करेगा।