प्रवक्ता ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • 51 • पवित्र बाईबल
अध्याय 45
1 जिन को ईश्वर और मनुष्यों का प्रेम प्राप्त था: वह मूसा थे, जिनकी स्मृति धन्य है।
2 उसने उन्हें सन्तों-जैसी महिमा प्रदान की और उन्हें महान् शत्रुओें के लिए भीषण बनाया। उसने उनके कहने पर तुरन्त महान् चमत्कार दिखाये
3 और उन्हें राजाओें की दृष्टि में महिमान्वित किया। उसने उन्हें अपनी प्रजा के लिए आज्ञाएँ दीं और उनके लिए अपनी महिमा प्रकट की।
4 उसने उनकी निष्ठा और विनम्रता के कारण उनका अभिशेक किया। और सब शरीरधारियों में से उन को चुना।
5 उसने उन को अपनी वाणी सुनायी और उन्हें घने बादल में बुलाया।
6 उसने उन्हें आमने-सामने अपनी आज्ञाएँ, जीवन और ज्ञान की संहिता प्रदान की, जिससे वह याकूब को प्रभु के विधान की और इस्राएल को उसके निर्णयों की शिक्षा दें।
7 उसने मूसा के भाई लेवीवंशी हारून को इसी तरह पवित्र और प्रतिष्ठित किया।
8 उसने चिरस्थायी विधान के रूप में उन्हें प्रजा का पुरोहित बनाया, उन्हें सुन्दर परिधान दे कर प्रसन्न किया।
9 और महिमामय वस्त्र पहनाये। उसने उन्हें अपूर्व आभूषण दिये और उन्हें अधिकार सूचक चिन्हों से अलंकृत किया।
10 उसने उन्हें जाँघिया, कुरता और एफ़ोद दिया। उसने उनके चारों ओर अनार और सोने की अनेक घण्टियाँ लगवायीं,
11 जो उनके चलते समय टनटनायें और उनके मन्दिर में प्रवेश करने पर सुनाई पड़े, जिससे उसकी प्रजा के पुत्र सावधान रहें।
12 उसने उनके लिए कलाकार द्वारा सोने के तारों का, नीले और बैगनी रंग का पवित्र वस्त्र सिलवाया। इसके अतिरिक्त कमरबन्द और वक्षपेटिका में ऊरीम और तुम्मीम।
13 शिल्पकार द्वारा बटी हुई छालटी से बनायी वक्षपेटिका में नक़्क़ाषी किये हुये सोने के खाँचों में इस्राएल के बारह वंशों की संख्या के अनुसार अक्षरों से अंकित मणियाँ सुशोभित थीं।
14 उनकी पगड़ी पर एक स्वर्ण मुकुट था, जिस पर अभिषेक की मुहर अंकित थी। वह कलाकृति सम्मान का प्रतीक थी, नयनाभिराम और अलंकृत।
15 उनके पूर्व इतनी सुन्दर वस्तुएँ कभी नहीं हुईं
16 और बाद में कोई विदेशी उन्हें कभी नहीं पहनेगा। उनके पुत्र ही उन्हें पहनेंगे और उनके बाद अनन्त काल तक उनके वंशज।
17 उनकी बलियाँ अनन्त काल तक प्रतिदिन दो बार भस्म कर दी जायेंगी।
18 मूसा ने उन्हें याजक के रूप में नियुक्त कर उनका अभिशेक पवित्र तेल से किया।
19 यह उनके लिए और उनके वंशजों के लिए एक चिरस्थायी विधान था: जब तक आकाश बना रहेगा, वे याजक का कार्य सम्पन्न करेंगे और प्रभु के नाम पर प्रजा को आशीर्वाद प्रदान करेंगे।
20 उसने उन्हें सभी लोगों में से चुना, जिससे वह प्रभु को होम-बलि, लोबान एवं सुगन्धयुक्त अन्न-बलि चढ़ायें और प्रजा के लिए प्रायश्चित-विधि सम्पन्न करें।
21 उसने उन्हें अपने आदेश सुनाये और संहिता की व्याख्या का अधिकार दिया, जिससे वह याकूब को उसके नियमों की शिक्षा दे, और इस्राएल को उसकी संहिता के विषय में ज्योति प्रदान करें।
22 एक अन्य वंश के लोगों ने उनके विरुद्ध विद्रोह किया और मरुभूमि में उन से ईर्ष्या प्रकट की: वे दातान, अबिराम और कोरह के दल थे, जो कु्द्ध हो कर उनके विरुद्ध खड़े हो गये।
23 प्रभु ने यह देखा और यह उसे अप्रिय लगा, उसका क्रोध भड़क उठा और उनका विनाश हुआ।
24 उसने उनके विरुद्ध चमत्कार दिखाये और उन्हें अपनी धधकती आग में भस्म किया।
25 उसने हारून का यश और बढ़ाया और उन्हें एक दायभाग प्रदान किया। उसने उन्हें खेतों के प्रथम फल दिलाये
26 और उन्हें भरपूर भोजन प्रदान किया; क्योंकि वे प्रभु को अर्पित बलिदान खायेंगे; जिन्हें उसने हारून और उनके वंशजों को दिया।
27 किन्तु प्रजा की भूमि में उन्हें विरासत नहीं मिली, प्रजा की तरह उन्हें कोई भाग नहीं मिला; क्योंकि प्रभु स्वयं उनका भाग और उनकी विरासत है।
28 एलआज़ार के पुत्र पीनहास तीसरे यशस्वी व्यक्ति हैं। उन्होनें प्रभु के लिए उत्साह का प्रदर्शन किया
29 ओैर अपनी उदारता और साहस से इस्राएल पर से प्रभु का क्रोध दूर किया।
30 इसलिए उसने उनके लिए शान्ति-विधान निर्धारित किया और उन्हें मन्दिर और अपनी प्रजा का अध्यक्ष नियुक्त किया, जिससे उन्हें और उनके वंशजों को सदा के लिए प्रधान याजक का पद प्राप्त हो।
31 यूदावंशी यिशय के पुत्र दाऊद के लिए जेा विधान निर्धारित किया गया, उसके अनुसार राजा का उत्तराधिकार उनके पुत्रों में एक को मिलता है, जब कि हारून का उत्तराधिकार उनके सभी वंशजों को मिलता है। प्रजा का उचित रीति से न्याय करने के लिए प्रभु आपके हृदयों को प्रज्ञा प्रदान करें, जिससे आपकी समृद्धि लुप्त न हो और आपका यष पीढ़ियों तक बना रहे!