निर्गमन ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • पवित्र बाईबल
अध्याय 23
1 ”तुम न तो झूठी निन्दा करोगे और न झूठे साक्ष्य से किसी दुष्ट का साथ दोगे।
2 किसी कुकर्म में किसी गुट का पक्ष नहीं लोगे और न किसी मुक़दमे में अधिकांश लोगों की हाँ में हाँ मिला कर ऐसी गवाही दोगे, जो न्याय के विरुद्ध हो।
3 किसी ग़रीब के अभियोग में पक्षपात नहीं करोगे।
4 यदि तुम अपने शत्रु के बैल या गधे को इधर-उधर भटकता पाओ, तो उसे उसके पास पहुँचा दो।
5 यदि तुम अपने विरोधी के गधे को बोझ से दबा हुआ पाओ, तो तुम उसे अकेला मत छोड़ो, उसे उठाने में उसकी सहायता करो।
6 तुम किसी ग़रीब के मुक़दमे में अन्याय नहीं करोगे।
7 झूठे दोषारोपण से दूर रहोगे। निरपराध और निर्दोष का वध नहीं करोगे, क्योंकि मैं अपराधी को निर्दोष नहीं ठहराऊँगा।
8 तुम घूस मत लो, क्योंकि घूस अधिकारियों को अन्धा बना देती है और निरपराधियों के साथ अन्याय कराती है।
9 तुम किसी परदेशी के साथ अत्याचार नहीं करोगे। तुम परदेशी की दशा समझते हो, क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।
10 ”छः वर्ष तक अपनी भूमि में अनाज बोओगे और उसकी उपज एकत्रित करोगे,
11 परन्तु सातवें वर्ष तुम उसे पड़ती पड़ी रहने दोगे, जिससे तुम लोगों में जो ग़रीब हैं, वे उसका उपयोग कर सकें और उनके द्वारा छोड़े हुए अवशिष्ट भाग को जंगली जानवर खा सकें। ऐसा ही अपने अंगूर के बाग़ और जैतून के वृक्षों के साथ करो।’
12 छह दिन तक अपना काम करो और सातवें दिन विश्राम-दिवस मनाओ, जिससे तुम्हारे बैल और तुम्हारे गधे को विश्राम मिले, तुम्हारे दासी-पुत्र और प्रवासी भी आराम कर सकें।
13 मेरे आदेश का पूरी तरह पालन करो। किसी दूसरे देवी-देवता का नाम ले कर प्रार्थना नहीं करो। तुम्हारे मुख से उनके नाम सुनाई तक न दें।
14 ”वर्ष में तीन बार मेरे आदर में पर्व मनाओ।
15 बेख़मीर रोटियों का पर्व मनाओ। मैंने जैसी आज्ञा दी थी, वैसे ही सात दिन तक आबीब महीने में निर्धारित समय पर बेख़मीर रोटियाँ खाओ, क्योंकि इसी महीने में तुम मिस्त्र से निकले थे। मेरे दर्शनार्थ कोई भी ख़ाली हाथ न आये।
16 तुमने जो अपने खेतों में बोया हो, जब इस से अपने परिश्रम के प्रथम फल की उपज मिले, तब तुम कटनी का पर्व मनाओ। वर्ष के अन्त में जब तुम अपने परिश्रम के
फल बटोरो, तो तुम संचय-पर्व मनाओ।
17 वर्ष में तीन बार सब पुरुष सर्वोच्च प्रभु के सामने उपस्थित हुआ करें।
18 तुम लोग न तो ख़मीरी रोटियों के साथ मुझे बलि-पशु का रक्त चढ़ाओ और न पर्व में चढ़ाई हुई चरबी सबेरे तक रखो।
19 अपनी भूमि की पहली उपज का सर्वोत्तम अंश अपने प्रभु-ईश्वर के घर ले आओ। किसी मेमने को उसकी माँ के दूध में मत उबालो।
20 “मैं एक दूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजता हूँ। वह रास्तें में तुम्हारी रक्षा करेगा और तुम्हें उस स्थान ले जायेगा, जिसे मैंने निश्चित किया है।
21 उसका सम्मान करो और उसकी बातें सुनो। उसके विरुद्ध विद्रोह मत करो। वह तुम्हारा अपराध नहीं क्षमा करेगा, क्योंकि उसे मेरी ओर से अधिकार मिला है।
22 यदि तुम उसकी बातें मानोगे और मैं जो कुछ कहूँगा, वह सब पूरा करोगे, तो मैं तुम्हारे शत्रुओं का शत्रु और तुम्हारे विरोधियों का विरोधी बनूँगा।
23 मेरा दूत तुम्हारे आगे-आगे चलेगा और तुम्हें अमोरियों, हित्तियों, परिज्जियों, कनानियों, हिव्वियों, तथा यबूसियों के देश पहुँचा देगा और मैं उनका सर्वनाश करूँगा।
24 तुम न तो उनके देवी-देवताओं की वन्दना और पूजा करोगे और न उनके कार्यों का अनुकरण करोगे, बल्कि उन मूर्तियों का सर्वनाश करोगे और उनके स्मारकों के टुकड़े-टुकड़े कर दोगे।
25 तुम अपने प्रभु-ईश्वर की सेवा करोगे और वह तुम्हारे अन्न-जल को आशीर्वाद देगा और मैं तुम से बीमारियाँ दूर रखूँगा।
26 न तो तुम्हारे देश में गर्भपात होगा और न कोई बाँझ रहेगी। मैं तुम्हारी आयु के दिन बढ़ाऊँगा।
27 ”मैं अपना आतंक तुम्हारे आगे-आगे भेजूँगा और जिन राष्ट्रों के क्षेत्र में तुम प्रवेश करोगे, मैं उन में घबराहट पैदा करूँगा। मैं सब शत्रुओं को तुम्हारे सामने से भगाता रहूँगा।
28 मैं तुम्हारे आगे-आगे बर्रे भेजूँगा, जो हिव्वियों, कनानियों और हित्तियों को तुम्हारे सामने से भगा देंगे।
29 मैं उन्हें एक ही वर्ष के अन्दर नहीं भगाऊँगा, नहीं तो वह देश उजाड़ हो जायेगा और जंगली जानवरों की बढ़ती संख्या से तुम्हें नुकसान होगा।
30 जब तक तुम्हारी संख्या बहुत अधिक नहीं हो जायेगी और तुम भूमि के पूरे अधिकारी नहीं बन जाओगे, तब तक मैं उन्हें तुम्हारे सामने से धीरे-धीरे भगाता रहूँगा।
31 मैं तुम्हारी भूमि की सीमाएँ लाल समुद्र से लेकर फ़िलिस्तियों के समुद्र तक और मरुभूमि से फरात नदी तक निश्चित कर दूँगा। मैं वहाँ के निवासियों को तुम्हारे अधिकार में दे दूँगा और तुम उन्हें अपने सामने से निकाल दोगे।
32 तुम न तो उन से और न उनके देवताओं से समझौता करो।
33 उन्हें अपने देश में रहने नहीं दो। कहीं ऐसा न हो कि तुम उनके देवताओं की सेवा करो और यह तुम्हारे लिए फन्दा बन जाये।”