एज़ेकिएल का ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627282930313233343536373839404142434445464748 पवित्र बाईबल

अध्याय 2

1 उसने मुझ से कहा, “मानवपुत्र! अपने पैरों पर खडे हो जाओ और मैं तुम से बात करूँगा“। जैसे ही उसने मुझ से यह कहा,

2 आत्मा ने मुझ में प्रवेश कर मुझे पैरों के पर खड़ा कर दिया और मैंने उसे मुझ से यह कहते सुना।

3 उसने मुझ से कहा, “मानवपुत्र! मैं तुम्हें इस्राएलियों के पास भेज रहा हूँ, उस विद्रेही राष्ट्र के पास, जो मेरे विरुद्ध में उठ खड़ा है। वे और उनके पुरखे आज तक मेरे विरुद्ध विद्रोह करते चले आ रहे हैं।

4 उनके पुत्र हठी हैं और उनका हृदय कठोर है। मैं तुम्हें उनके पास यह कहने भेज रहा हूँः ’प्रभु-ईश्वर यह कहता है’।

5 चाहे वे सुनें या सुनने से इनकार करें, क्योंकि वे विद्रोही प्रजा हैं- किन्तु वे जान जायेंगे कि उनके बीच एक नबी प्रकट हुआ है।

6 मानवपुत्र! तुम उन से नहीं डरोगे और और न उनकी बातों से भयभीत होगे, भले ही तुम्हें कँटीली झाड़ियाँ और काँटे मिलें और तुम को बिच्छुओं पर बैठना पडे़। उनके शब्दों से भयभीत मत हो और उनकी नज़रों से मत डरो; क्योंकि वे विद्रोही हैं।

7 चाहे वे सुनें या सुनने से इनकार करें, तुम मेरे शब्द उन्हें सुनाओगे; क्योंकि उनका घराना विद्रोही है।

8 “मानवपुत्र! मैं जो कहने जा रहा हूँ, उसे सुनो। इस विद्रोही प्रजा की तरह विद्रोह मत करो। अपना मुँह खोलो और जो दे रहा हूँ, उसे खा लो।“

9 मैंने आँखें ऊपर उठा कर देखा कि एक हाथ मेरी ओर बढ़ रहा है और उस में एक लपेटी हुई पुस्तक थी।

10 उसने उसे खोल दिया। काग़ज पर दोनों ओर लिखा हुआ था- उस पर विलाप, मातम और शोक गीत अंकित थे।