एज़ेकिएल का ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627282930313233343536373839404142434445464748 पवित्र बाईबल

अध्याय 28

1 प्रभु की वाणी मुझे यह कहते हुए सुनाई दी,

2 “मानवपुत्र तीरुस के शासक से कहो, ’प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः तुमने अपने घमण्ड में कहाः “मैं ईश्वर हूँ। मैं समुद्र के बीच एक दिव्य सिंहासन पर विराजमान हूँ।“ किन्तु तुम ईश्वर नहीं, बल्कि निरे मनुष्य हो। फिर भी तुम अपने को ईश्वर के बराबर समझते हो।

3 हाँ, तुम दानेल से भी बुद्धिमान हो और कोई भी रहस्य तुम से छिपा हुआ नहीं है।

4 तुमने अपनी बुद्धिमानी और सूझ-बूझ से धन कमाया और अपने कोषों में चाँदी-सोना एकत्र किया है।

5 तुम अपने व्यापार-कौशल के कारण बड़े धनी बन गये हो और इस धन के साथ-साथ तुम्हारा घमण्ड भी बढ़ गया है।

6 इसलिए प्रभु-ईश्वर यह कहता है: तुम अपने को ईश्वर के बराबर समझते हो,

7 इसलिए मैं विदेशियों को, सब से निष्ठुर राष्ट्रों को तुम्हारे पास भेजूँगा। वे तलवार खींच कर तुम्हारी अपूर्व बुद्धिमानी पर आक्रमण करेंगे और तुम्हारा घमण्ड चकनाचूर कर देंगे।

8 “वे तुम्हें अधोलोक पहुँचा देंगे और तुम समुद्र के बीच तलवार के घाट उतार दिये जाओगे।

9 जब तुम हत्यारों का सामना करोगे, तो क्या तुम ईश्वर होने का दावा करोगे? जब तुम अपने हत्यारों के हाथों पड़ जाओगे, तो तुम जान जाओगे कि तुम ईश्वर नहीं बल्कि निरे मनुष्य हो।

10 तुम विदेशियों के हाथों पड़ कर बेख़तना लोगों की मौत मरोगे, क्योंकि मैंने ऐसा कहा है। यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।

11 मुझे प्रभु की वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ीः

12 “मानवपुत्र! तीरुस के शासक के विषय में शोकगीत गाते हुए उस से कहो, ’प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः तुम पूर्णता की मुहर, प्रज्ञा से परिपूर्ण और सर्वांगसुन्दर थे।

13 तुम ईश्वर की वाटिका अदन में रहते थे और तुम्हारे वस़्त्र विभिन्न बहुमूल्य रत्नों से विभूशित थे- माणिक्य, पुखराज और हीरा, स्वर्णमणि, सुलेमानी और सूर्यकान्त, नीलम, फ़ीरोज़ा और मरकत से। तुम्हारे कर्णफूल और चमकियाँ सोने के थे। तुम्हारी सृष्टि के दिन उनकी भी रचना की गयी थी।

14 मैंने तुम को एक संरक्षक केरूब के साथ रख दिया था। तुम ईश्वर के पवित्र पर्वत पर रहते और दहकती चट्टानों के बीच चलते थे।

15 तुम्हारी सृष्टि के दिन से ले कर तब तक, जब तुम में पाप पाया गया, तुम्हारा आचरण निर्दोष था।

16 अपने व्यापार के विस्तार के कारण तुम्हारी चारदीवारी हिंसा से भर गयी और तुमने पाप किया। इसलिए मैंने तुम को अपमानित कर ईश्वर के पर्वत से ढकेल दिया और संरक्षक केरूब ने तुम को दहकती चट्टानों के बीच से बाहर निकाल दिया।

17 अपनी सुन्दरता के कारण तुम अहंकारी हो गये। अपने वैभव के कारण तुमने अपनी बुद्धि का दुरुपयोग किया। मैंने तुम को भूमि पर फेंक दिया; मैंने तुम को राजाओं की नज़र में एक तमाशा बना दिया।

18 अपने असंख्य पापों, अपने व्यापार में बेईमानी द्वारा तुमने अपने मन्दिरों को अपवित्र कर दिया; इसलिए मैंने तुम्हारे बीच आग उत्पन्न की। उसने तुम को भस्म कर दिया और मैंने तुम को देखने वालों की आँखों के सामने पृथ्वी पर राख कर दिया।

19 वे सभी राष्ट्र, जो तुम को जानते हैं, तुम्हें देख कर विस्मित हैं। तुम आतंक के पात्र बन गये हो और तुम्हारा सर्वनाश सदा के लिए हो गया है’।“

20 मुझे प्रभु की वाणी यह कहते हुए सुनाई पड़ीः

21 “मानवपुत्र! सीदोन की ओर मुँह करो और उसके विषय में भवियवाणी करो।

22 कहो, ’प्रभु-ईश्वर कहता है: सीदोन! मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ। मैं तुम्हारे बीच अपनी महिमा प्रकट करूँगा और तब से यह समझ जायेंगे कि मैं ही प्रभु हूँ, जब मैं उस को दण्ड दूँगा और उस में अपनी पवित्रता प्रकट करूँगा।

23 मैं उसके यहाँ महामारी भेजूँगा और उसकी सड़कों पर रक्तपात मचाऊँगा हर दिशा से उसके विरुद्ध उठी तलवार से मारे हुए लोग उसके यहाँ गिर पडेंगे। तब वे यह समझ जायेंगे कि मैं ही प्रभु हूँ।

24 तब इस्राएल के घराने के लिए उसके पड़ोसियों में, जो उसका अपमान करते हैं, कोई चुभने वाली झाड़ी या उसे दुख देने वाला काँटा नहीं रहेगा। तब वे यह समझ जायेंगे कि मैं ही प्रभु-ईश्वर हूँ।’

25 “प्रभु-ईश्वर यह कहता है: जब मैं इस्राएल के घराने को उन राष्ट्रों में से, जिन में वह बिखरा हुआ है, एकत्रित करूँगा, तब मैं राष्ट्रों के सामने उसके द्वारा अपनी पवित्रता प्रकट करूँगा। वे अपने उस देश में बस जायेंगे, जिसे मैंने अपने सेवक याकूब को दिया था।

26 वे उस में सुरक्षित रहेंगे, घर बनायेंगे और दाखबारियाँ लगायेंगे। वे उस समय सुरक्षित रहेंगे, जब मैं उनके उन पडोसियों को, जो उनका अपमान करते हैं, दण्ड दूँगा। तब वे यह समझ जायेंगे कि मैं ही प्रभु, उनका ईश्वर हूँ।“