उत्पत्ति ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • पवित्र बाईबल
अध्याय 4
1 आदम का अपनी पत्नी से संसर्ग हुआ और वह गर्भवती हो गयी। उसने काइन को जन्म दिया और कहा, “मैंने प्रभु की कृपा से एक मनुष्य को जन्म दिया’’।
2 फिर उसने काइन के भाई हाबिल को जन्म दिया। हाबिल भेड़-बकरियों का चरवाहा बना और काइन खेती करता था।
3 कुछ समय बाद काइन ने भूमि की उपज का कुछ अंश प्रभु को अर्पित किया।
4 हाबिल ने भी अपनी सर्वोत्तम भेड़ों के पहलौठे मेमनों को प्रभु को अर्पित किया। प्रभु ने हाबिल पर प्रसन्न हो कर उसकी भेंट स्वीकार की,
5 किन्तु उसने काइन और उसकी भेंट को अस्वीकार किया। काइन बहुत क्रुद्ध हुआ और उसका चेहरा उतर गया।
6 प्रभु ने काइन से कहा, “तुम क्यों क्रोध करते हो और तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ क्यों है?
7 जब तुम भला करोगे, तो प्रसन्न होगे। यदि तुम भला नहीं करोगे, तो पाप हिंस्र पशु की तरह तुम पर झपटने के लिए तुम्हारे द्वार पर घात लगा कर बैठेगा। क्या तुम उसका दमन कर सकोगे?”
8 काइन ने अपने भाई हाबिल से कहा, “हम टहलने चलें’’। बाहर जाने पर काइन ने हाबिल पर आक्रमण किया और उसे मार डाला।
9 प्रभु ने काइन से कहा, “तुम्हारा भाई हाबिल कहाँ है?’’ उसने उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता। क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?’’
10 प्रभु ने कहा, “तुमने क्या किया? तुम्हारे भाई का रक्त भूमि पर से मुझे पुकार रहा है। भूमि ने मुँह फैला कर तुम्हारे भाई का रक्त ग्रहण किया, जिसे तुमने बहाया है।
11 इसलिए तुम शापित हो कर उस भूमि से निर्वासित किये जाओगे।
12 यदि तुम उस भूमि पर खेती करोगे, तो वह कुछ भी पैदा नहीं करेगी। तुम आवारे की तरह पृथ्वी पर मारे-मारे फिरोगे।”
13 तब काइन ने प्रभु से कहा, “मैं यह दण्ड नहीं सह सकता।
14 तू मुझे उपजाऊ भूमि से निर्वासित कर रहा है। मुझे तुझ से दूर रहना पड़ेगा। मैं आवारे की तरह पृथ्वी पर मारा-मारा फिरूँगा और भेंट होने पर कोई भी मेरा वध कर देगा।”
15 इस पर प्रभु ने उसे यह उत्तर दिया, “नहीं! जो काइन का वध करेगा, उस से इसका सात गुना बदला लिया जायेगा।” कहीं ऐसा न हो कि काइन से भेंट होने पर कोई उसका वध करे, इसलिए प्रभु ने काइन पर एक चिन्ह अंकित किया।
16 इसके बाद काइन प्रभु के पास से चला गया और अदन के पूर्व में नोद देश में रहने लगा।
17 काइन का अपनी पत्नी से संसर्ग हुआ। वह गर्भवती हुई और उसने हनोक को जन्म दिया। काइन ने एक नगर बसाया और अपने पुत्र के नाम पर उसका नाम हनोक रखा।
18 हनोक को एक पुत्र हुआ – ईराद; ईराद को महूयाएल, महूयाएल को मतूशाएल और मतूशाएल को लमेक।
19 लमेक ने दो स्त्रियों से विवाह किया। एक का नाम आदा था और दूसरी का नाम सिल्ला।
20 आदा ने याबाल को जन्म दिया। यह उन लोगों का मूलपुरुष था, जो तम्बुओं में रहते हैं और ढोर पालते हैं।
21 इसके भाई का नाम यूबाल था। वह उन सब लोगों का मूल पुरुष था, जो सितार और बाँसुरी बजाते हैं।
22 सिल्ला ने तूबलकाइन को जन्म दिया। यह काँसे और लोहे की वस्तुएँ बनाने वाले सब लोगों का मूलपुरुष था। तूबलकाइन की बहन नामा थी।
23 लमेक ने अपनी पत्नियों से यह कहाः “आदा और सिल्ला! मैं जो कहता हूँ उसे सुनो; लमेक की पत्नियो! मेरी बात पर ध्यान दोः मैंने उस पुरुष का वध किया है, जिसने मुझे घायल किया था, उस नवयुवक का, जिसने मुझे मारा था।
24 यदि काइन का बदला सात गुना चुकाया जायेगा, तो लमेक का सतहत्तर गुना।”
25 आदम का अपनी पत्नी से फिर संसर्ग हुआ। उसने पुत्र प्रसव किया और उसका नाम सेत रखा। उसने कहा, “काइन ने हाबिल का वध किया, इसलिए प्रभु ने उसके बदले मुझे एक अन्य पुत्र प्रदान किया’’।
26 सेत को भी पुत्र हुआ।
27 उसने उसका नाम एनोश रखा। उस समय से लोग प्रभु का नाम लेने लगे।