इसायाह का ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627282930313233343536373839404142434445464748495051525354555657585960616263646566 पवित्र बाईबल

1 विनाश करने वाले! तुम को धिक्कार! तुम्हारा विनाश अब तक नहीं हुआ। विश्वासघाती! तुम को धिक्कार, जिसके साथ अब तक विश्वासघात नहीं किया गया! जब तुमने सब का विनाश कर दिया होगा, तो तुम्हारा भी विनाश किया जायेगा। जब तुम विश्वाघात कर चुके होगे, तो तुम्हारे साथ भी विश्वासघात किया जायेगा।

2 प्रभु! तू हम पर दया कर। तुझ पर भरोसा है। तू हर सुबह हमें बल प्रदान कर; तू विपत्ति में हमारी रक्षा कर।

3 मेघगर्जन सुन कर लोग भाग जाते हैं; जब तू उठ कर खड़ा हो जाता है, तो राष्ट्र छींतरा जाते हैं।

4 तब लूट एकत्र हो जाती है और लोग टिड्डियों की तरह उस पर टूट पड़ते हैं।

5 प्रभु सवोच्य हैं। वह ऊँचाइयों पर निवास करता है। वह सियोन को न्याय और धार्मिकता से परिपूर्ण कर देगा।

6 वह तुम्हारे दिनों की सुरक्षा होगा। प्रज्ञा, ज्ञान और प्रभु पर श्रद्धा यही तुम्हारा ख़जा़ना होगा।

7 देखो, अरीएल के शूरवीर विलाप कर रहे हैं, शान्ति के सन्देशवाहक फूट-फूट कर रो रहे हैं।

8 राजमार्ग खाली हैं, सड़कों पर कोई नहीं दिखता। सन्धि भंग हो गयी है, नगर उजाड़ हैं और किसी का ध्यान नहीं रखा जाता।

9 देश शोक मनाता है और नष्ट हो रहा है। लेबानोन लज्जा से मुरझाता जा रहा है। शारोन मरुभूमि बन रहा है। बाशान और करमेल में पतझड़ है।

10 प्रभु कहता है, “अब मैं उठूँगा, अब मैं उठ खड़ा हो जाऊँगा, अब मेरी महिमा प्रकट की जायेगी।

11 तुम्हारे गर्भ में भूसा है, तुम पुआल पैदा करते हो; तुम्हारी साँस तुम को आग की तरह भस्म करेगी।

12 राष्ट्र जल कर चूने के सदृश बन जायेंगे। वे qकाटे हुए काँटों की तरह आग में धधक उठेंगे।“

13 तुम, जो दूर हो, सुनो कि मैंने क्या किया है। तुम जो निकट हो, मेरा सामर्थ्य स्वीकार करो।

14 सियोन के पापी आतंकित हैं, विधर्मी काँपने लगे। “हम में कौन धधक्ती आग में टिक सकता है? हम में कौन सदा जलने वाली भट्टी में टिक सकता है?“

15 जो सदाचरण करता और सत्य बोलता है, जो अत्याचार द्वारा लाभ नहीं उठाता और घूस स्वीकार नहीं करता; जो वध का षड्यन्त्र सुन कर कान बन्द कर लेता, जिसकी आँखें बुराई नहीं देखना चाहतीं,

16 वह ऊँचाई पर निवास करेगा, उसका आश्रय पर्वत पर बसा हुआ क़िला होगा; उसे रोटी मिलती रहेगी और उसे कभी पानी का अभाव नहीं होगा।

17 तुम्हारी आँखें राजा के वैभव के दर्शन करेंगी। तुम दूर तक फैला हुआ देश देखोगे।

18 तुम बीते दिनों के आतंक पर विचार करोगेः “हमारी आय का लेखा करने वाले और कर वसूल करने वाले अब कहाँ हैं? कहाँ है वह अधिकारी, जो हमारे बुर्जों को निरीक्षण करता था?“

19 तुम्हें अहंकारी लोग दिखाई नहीं देंगे, जो विदेशी और अस्पष्ट भाषा में ऐसी बातें करते थे, जिन्हें तुम ही समझते थे।

20 हमारे पर्वों के नगर सियोन पर दृष्टि दौड़ाओ। तुम्हारी आँखें  येरुसालेम को एक शान्तिमय क्षेत्र के रूप में देखेंगी एक तम्बू, जो नहीं उठाया जायेगा, जिसकी खूँटियाँ नहीं उखाड़ी जायेंगी, जिसकी रस्सियाँ नहीं खोली जायेंगी।

21 प्रभु वहाँ हम पर अपनी महिमा प्रकट करेगा।  येरुसालेम महानदियों और चौड़ी नहरों का क्षेत्र-जैसा बनेगा, किन्तु उन पर युद्धपोत नहीं आयेंगे; उन पर बड़े जलयान आक्रमण नहीं करेंगे;

22 क्योंकि प्रभु हमारा न्यायाधीश है, वही हमारा विधिकर्ता है। प्रभु हमारा राजा है, वही हमारा उद्वार करेगा।

23 तुम्हारी रस्सियाँ ढीली पड़ गयी हैं। वे न तो मस्तूल को अपनी जगह बनाये रखती और न झण्डे को फहराती हैं। तब अपार लूट बाँटी जायेगी; लँगड़े तक उस में से अपना हिस्सा ले सकेंगे।

24 वहाँ एक भी निवासी यह नहीं कहेगा कि मैं बीमार हूँ। येरुसालेम के नागरिकों का पाप क्षमा होगा।