इसायाह का ग्रन्थ

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अध्याय 43

1 याकूब! जिसने तुम्हारी सृष्टि की है, इस्राएल! जिसने तुम को गढ़ा है, वही प्रभु अब कहता है: “नहीं ड़रो! मैंने तुम्हारा उद्धार किया है। मैंने तुम को अपनी प्रजा के रूप में अपनाया है।

2 यदि तुम समुद्र पार करोगे, तो मैं तुम्हारे साथ होऊँगा। जलधाराएँ तुम्हें बहा कर नहीं ले जायेंगी। यदि तुम आग पार करोगे, तो तुम नहीं जलोगे। ज्वालाएँ तुम को भस्म नहीं करेंगी;

3 क्योंकि मैं, प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ; मैं इस्राएल का परमपावन उद्धारक हूँ। मैंने तुम को छुड़ाने के लिए मिस्र दे दिया, तुम्हारे बदले में इथोपिया और सबा दे दिये।

4 तुम मेरी दृष्टि में मूल्यवान् हो और महत्व रखते हो। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। इसलिए मैं तुम्हारे बदले मनुष्यों को देता हूँ? तुम्हारे प्राणों के लिए राष्ट्रों को देता हूँ।

5 नहीं डरो! मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैं पूर्व से तुम्हारे वंशजों को लौटाऊँगा। मैं पश्चिम से तुम लोगों को एकत्र करूँगा।

6 मैं उत्तर से कहूँगा, ’उन्हें छोड़ दो’ और दक्षिण से, ’उन्हें मत रोको।’ मेरे पुत्रों को दूर-दूर से ला दो और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी के कोने-कोने से;

7 उन सबों को, जो मेरे कहलाते हैं, जिनकी सृष्टि मैंने अपनी महिमा के लिए की है, जिन्हें मैंने गढ़ा और बनाया है।“

8 उन लोगों को सामने ले आओ, जो आँख रहते अन्धे हैं, जो कान होते बहरे हैं।

9 सारे राष्ट्र इकट्ठे हों, सब जातियाँ मिल जायें। उन में कौन राष्ट्र ऐसा है जिसने इस बात की भवियवाणी की थी, जिसने पहले की घटनाओं का संकेत किया था? वे अपनी बातें प्रमाणित करने के लिए साक्षियों को ले आयें, जिससे लोग उन्हें सुन कर कहें- “उन पर विश्वास किया जा सकता है”।

10 प्रभु कहता है, “तुम मेरे साक्षी हो। तुम मेरे सेवक हो; मैंने तुम को इसलिए चुना है कि तुम जान जाओ, मुझ में विश्वास करो और यह समझो कि मैं वही हूँ। मेरे पहले न तो कोई ईश्वर हुआ और न मेरे बाद कोई होगा।

11 मैं, मैं ही प्रभु हूँ; मेरे सिवा कोई उद्धारक नहीं।

12 मैंने मुक्ति-विधान की घोषणा की और उसे पूरा किया; मैंने भविष्यवाणी की- तुम्हारे किसी पराये देवता ने नहीं।“ प्रभु कहता हैः “तुम मेरे साक्षी हो और मैं तुम्हारा ईश्वर हूँ।

13 मैं आज भी वही हूँ। मेरे हाथ से छुड़ाने वाला कोई नहीं। मैंने जो किया, उसे कोई व्यर्थ नहीं कर सकता।“

14 प्रभु, इस्राएल का परमपावन उद्धारक यह कहता हैः “मैं तुम्हारे कारण बाबुल पर सेना भेजता हूँ, उसकी सब अर्गलाएँ तोड़ी जायेंगी। वहाँ के निवासी रोयेंगे और विलाप करेंगे।

15 मैं तुम्हारा परमपावन प्रभु हूँ, इस्राएल का सृष्टिकर्ता और तुम्हारा राजा।“

16 प्रभु ने समुद्र में मार्ग बनाया और उमड़ती हुई लहरों में पथ तैयार किया था।

17 उसने रथ, घोड़े और एक विशाल सेना बुलायी। वे सब-के-सब ढेर हो गये और फिर कभी नहीं उठ पाये। वे बत्ती की तरह जल कर बुझ गये। वही प्रभु कहता है:

18 “पिछली बातें भुला दो, पुरानी बातें जाने दो।

19 देखो, मैं एक नया कार्य करने जा रहा हूँ। वह प्रारम्भ हो चुका है। क्या तुम उसे नहीं देखते? मैं मरुभूमि में मार्ग बनाऊँगा और उजाड़ प्रदेश में पथ तैयार करूँगा।

20 जंगली जानवर, गीदड़ और शुतुरमुर्ग मुझे धन्य कहेंगे, क्योंकि मैं अपनी प्रजा की प्यास बुझाने के लिए मरुभूमि में जल का प्रबन्ध करूँगा और उजाड़ प्रदेश में नदियाँ बहाऊँगा।

21 मैंने यह प्रजा अपने लिए बनायी है। यह मेरा स्तुतिगान करेगी।

22 “याकूब! तुमने मेरा नाम नहीं लिया। इस्राएल! तुमने मेरी परवाह नहीं की।

23 तुमने भेड़ें ला कर मुझे होम-बलियाँ नहीं चढ़ायीं, तुमने यज्ञ चढ़ा कर मेरा सम्मान नहीं किया। मैंने तुम पर चढ़ावों का भार नहीं डाला और तुम से लोबान के लिए अनुरोध नहीं किया।

24 तुमने अपने खर्च से मुझे सुगन्धित द्रव्य नहीं चढ़ाया; तुमने अपने बलि-पशुओं से मुझे तृप्त नहीं किया। किन्तु तुमने अपने पापों का बोझ मुझ पर डाला और अपने अपराधों से मुझे खिजाया।

25 “मैं वही हूँ, जो अपने नाम के कारण तुम्हारे सब अपराध धो डालता है। मैं तुम्हारे पाप फिर याद नहीं करता।

26 अपना पक्ष प्रस्तुत करो। हम उस पर विचार करें। निर्दोष होने के प्रमाण प्रस्तुत करो।

27 तुम्हारे मूल पुरुष ने पाप किया, तुम्हारे नेताओं ने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया;

28 इसलिए मैंने मन्दिर के अध्यक्षों को अपवित्र किया, मैंने याकूब का विनाश किया और इस्राएल को अपमानित होने दिया।