इसायाह का ग्रन्थ

अध्याय : 12345678910111213141516171819202122 •  2324252627282930313233343536373839404142434445464748495051525354555657585960616263646566 पवित्र बाईबल

अध्याय 48

1 “याकूब के वंशजो! मेरी बात सुनो! तुम्हारा नाम इस्राएल है। तुम यूदा के वंशज हो। तुम प्रभु का नाम ले कर शपथ खाते हो। तुम इस्राएल के ईश्वर की दुहाई देते हो, किन्तु तुम में सच्चाई और धार्मिकता की कमी है।

2 वे अपने को पवित्र नगर के निवासी कहते हैं और इस्राएल के ईश्वर पर भरोसा करते हैं, जिसका नाम ‘विश्वमण्डल का प्रभु’ है।

3 मैंने प्राचीन काल से प्रारम्भ की घटनाओं की भविष्यवाणी की; मैंने अपने ही मुख से उनकी घोषणा की है। मैंने उन्हें अचानक कार्य में परिणत किया और वे पूरी हो गयीं।

4 मैं जानता था कि तुम हठीले हो; तुम्हारी गरदन लोहे की तरह और तुम्हारा माथा काँसे की तरह कठोर है।

5 इसलिए मैंने बहुत पहले उन घटनाओं की घोषणा की, घटित होने से पहले उन्हें प्रकट किया, जिससे तुम यह नहीं कह पाते, ‘वे मेरी देवमूर्ति के कार्य हैं, मेरी ढली हुई प्रतिमा ने उनका आयोजन किया है’।

6 तुमने ये सब बातें सुनी और देखी हैं। क्या तुम इनकी घोषणा नहीं करोगे? मैं अब नयी बातों की चरचा करना चाहता हूँ, ऐसी बातों की, जो गुप्त हैं और जिन्हें तुम नहीं जानते।

7 “वे बहुत पहले नहीं, बल्कि अभी-अभी घटित हो रही हैं, तुमने अब तक उनके विषय में नहीं सुना। इसलिए तुम नहीं कह सकते हो- ‘वे मुझे बहुत पहले से मालूम है’।

8 तुमने निश्चय ही उनके विषय में नहीं सुना, तुम उनके विषय में कुछ नहीं जानते; तुम से उनके विषय में पहले से कुछ नहीं कहा गया ; क्योंकि मैं जानता था कि तुम विश्वासघास करते आ रहे हो और माता के गर्भ से ही विद्रोही कहलाते हो।

9 मैंने अपना क्रोध अपने नाम के कारण भड़कने नहीं दिया। मैंने अपने गौरव के कारण अपने पर नियन्त्रण रखा और तुम्हारा विनाश नहीं किया।

10 देखो, मैंने तुम को शु़द्ध किया, किन्तु चाँदी की तरह आग में नहीं, बल्कि मैंने विपत्ति की भट्ठी में तुम्हारा परिष्कार किया।

11 मैंने अपने कारण ही यह किया। मैं अपना नाम कलंकित नहीं होने दूँगा, मैं अपनी महिमा किसी दूसरे को प्रदान नहीं करूँगा।

12 “याकूब! इस्राएल! जिसे मैंने चुना है, मेरी बात सुनो। मैं वही हूँ। प्रथम और अन्तिम मैं हूँ।

13 मेरे हाथ ने पृथ्वी की स्थापना की; मेरे दाहिने हाथ ने आकाश फैलाया; मेरे बुलाने पर वे प्रस्तुत हो जाते हैं।

14 तुम सब एकत्र हो कर मेरी बात सुनो। तुम्हारे देवताओं में किसने इसकी भविष्यवाणी की कि ईश्वर का कृपापात्र बाबुल और खल्दैयियों की जाति के विरुद्ध उसकी इच्छा पूरी करेगा?

15 मैंने ही यह कहा; मैंने उस को बुलाया, मैंने बुला भेजा और मैं उसे सफलता प्रदान करूँगा।

16 मेरे पास आ कर तुम यह सुनो; मैं प्रारम्भ से ही गुप्त रूप से कभी नहीं बोला; जब से यह सब होने लगा, मैं वहाँ था।“ अब प्रभु-ईश्वर ने मुझे अपना आत्मा प्रदान कर भेजा है।

17 प्रभु, इस्राएल का परमपावन ईश्वर, तुम्हारा उद्धारक यह कहता हैः “मैं प्रभु, तुम्हारा ईश्वर हूँ। मैं तुम्हें कल्याण की बातें बतलाता हूँ और मार्ग में तुम्हारा पथप्रदर्शन करता हूँ।

18 “यदि तुमने मेरी आज्ञाओं का पालन किया होता, तो तुम्हारी सुख-शान्ति नदी की तरह उमड़ती रहती और तुम्हारी धार्मिकता समुद्र की लहरों की तरह।

19 “तुम्हारे वंशज बालू की तरह हो गये होते, तुम्हारी सन्तति उसके कणों की तरह असंख्य हो जाती। उसका नाम कभी नहीं मिटता और मैं उसे कभी अपनी दृष्टि से दूर नहीं करता।“

20 बाबुल से बाहर निकल जाओ, खल्दैया से भाग जाओ, जयकार करते हुए इसकी घोषणा करो, पृथ्वी के छोरों तक यह सुनाओ, “प्रभु ने अपने सेवक याकूब का उद्धार किया“।

21 जिस समय वह उन्हें रेगिस्तान से हो कर ले जा रहा था, उस समय उन्हें प्यास नहीं लगी। उसने उनके लिए चट्टान से पानी निकाला, उसने चट्टान तोड़ डाली और उस में से पानी बह निकला।

22 प्रभु कहता हैः “कुकर्मियों को शान्ति नहीं मिलती“।