इसायाह का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • 51 • 52 • 53 • 54 • 55 • 56 • 57 • 58 • 59 • 60 • 61 • 62 • 63 • 64 • 65 • 66 • पवित्र बाईबल
अध्याय 52
1 सियोन! जाग, खड़ी हो जा, सामर्थ्य धारण कर। पवित्र नगरी येरुसालेम! वैभव के वस्त्र धारण कर। क्योंकि बेख़तना और अपवित्र व्यक्ति फिर कभी तुझ में प्रवेश नहीं करेंगे।
2 येरुसालेम! धूल में से उठ कर खड़ी हो और अपने सिंहासन पर विराजमान हो जा। सियोन की बन्दिनी पुत्री! अपनी गरदन की बेड़ियाँ तोड़ डाल।
3 प्रभु यह कहता है, “तू बिना मोल बेच दी गयी थी। अब बिना मोल तेरा उद्धार किया जायेगा”;
4 क्योंकि प्रभु-ईश्वर यह कहता है, “प्रारम्भ में मेरी प्रजा रहने के लिए मिस्र गयी थी। अन्त में अस्सूरियों ने उस पर अत्याचार किया
5 और अब यहाँ मेरे पास क्या रह गया?” यह प्रभु की वाणी है। “क्योंकि मेरी प्रजा अकारण निर्वासित की गयी और उस पर शासन करने वाले उसका उपहास करते हैं।“ यह प्रभु की वाणी है। “दिन भर मेरे नाम की निन्दा की जाती है।
6 उस दिन मेरी प्रजा मेरा नाम जान जायेगी। वह अनुभव करेगी कि मैं वही हूँ, जो कहता है, ’मैं यहीं हूँ।’
7 जो शान्ति घोषित करता है, सुसमाचार सुनाता है, कल्याण का सन्देश लाता और सियोन से कहता है, “तेरा ईश्वर राज्य करता है”- इस प्रकार शुभ सन्देश सुनाने वाले के चरण पर्वतों पर कितने रमणीय हैं!
8 येरुसालेम! तेरे पहरेदार एक साथ ऊँचे स्वर से आनन्द के गीत गाते हैं। वे अपनी आँखों से देख रहे हैं कि प्रभु ईश्वर सियोन की ओर वापस आ रहा है।
9 येरुसालेम के खँड़हर आनन्दविभोर हो कर जयकार करें! प्रभु-ईश्वर अपनी प्रजा को सान्त्वना देता और येरुसालेम का उद्धार करता है।
10 प्रभु-ईश्वर ने समस्त राष्ट्रों के देखते-देखते अपना पावन सामर्थ्य प्रदर्शित किया है। पृथ्वी के कोने-कोने में हमारे ईश्वर का मुक्ति-विधान प्रकट हुआ है।
11 प्रस्थान करो, प्रस्थान करो! वहाँ से जाओ। किसी अशुद्ध वस्तु का स्पर्श मत करो। प्रभु के मन्दिर के पात्र ले जाने वालो! बाबुल से निकल कर अपने को पवित्र करो।
12 तुम हड़बड़ी में नहीं जाओगे, तुम भगदड़ में नहीं भागोगे; क्योंकि प्रभु तुम्हारे आगे-आगे चलेगा, इस्राएल का ईश्वर तुम्हारे पीछे-पीछे आयेगा।
13 देखो! मेरा सेवक फलेगा-फूलेगा। वह महिमान्वित किया जायेगा और अत्यन्त महान् होगा।
14 उसकी आकृति इतनी विरूपित की गयी थी कि वह मनुष्य नही जान पड़ता था; लोग देख कर दंग रह गये थे।
15 उसकी ओर बहुत-से राष्ट्र आश्चर्यचकित हो कर देखेंगे और उसके सामने राजा मौन रहेंगे; क्योंकि उनके सामने एक अपूर्व दृश्य प्रकट होगा और जो बात कभी सुनने में नहीं आयी, वे उसे अपनी आँखों से देखेंगे।