इसायाह का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • 51 • 52 • 53 • 54 • 55 • 56 • 57 • 58 • 59 • 60 • 61 • 62 • 63 • 64 • 65 • 66 • पवित्र बाईबल
अध्याय 61
1 प्रभु का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है। उसने मुझे भेजा है कि मैं दरिद्रों को सुसमाचार सुनाऊँ, दुःखियों को ढारस बँधाऊँ; बंन्दियों को छुटकारे का और कैंदियों को मुक्ति का सन्देश सुनाऊँ;
2 प्रभु के अनुग्रह का वर्ष और ईश्वर के प्रतिशोध का दिन घोषित करूँ; विलाप करने वालों को सान्त्वना दूँ,
3 राख के बदले उन्हें मुकुट पहनाऊँ, शोक-वस्त्रों के बदले आनन्द का तेल प्रदान करूँ और निराशा के बदले स्तुति की चादर ओढाऊँ। उनका यह नाम रखा जोयेगाः “सदाचार के बलूत, प्रभु की महिमा प्रकट करने वाला उद्यान”।
4 वे पुराने खँडहरों और नष्ट किये हुए स्थानों का पुनर्निर्माण करेंगे। वे उन नगरों में बस जायेंगे, जो पीढ़ियों से उजाड़ पड़े हैं।
5 दूर-दूर के लोग तेरे सेवक बन कर तेरी भेड़-बकरियाँ चरायेंगे। तेरे यहाँ के परदेशी तेरे खेतों और दाखबारियों के मजदूर बनेंगे।
6 तुम लोग कहलाओगे “प्रभु के पुरोहित“, तुम्हारा नाम रखा जायेगा “हमारे ईश्वर के सेवक“। तुम राष्ट्रों की सम्पत्ति का उपभोग करोगे और उन से प्राप्त वैभव पर गौरव करोगे।
7 मेरी प्रजा को बहुत अपमान, तिरस्कार और अत्याचार झेलना पड़ा; इसलिए उसे देश में दुगुनी विरासत मिलेगी। उसे चिरस्थायी आनन्द प्राप्त होगा;
8 “क्योंकि मैं, प्रभु न्यायप्रिय हूँ, मैं अन्याय और लूट से घृणा करता हूँ; इसलिए मैं ईमानदारी से उसकी क्षतिपूर्ति करूँगा और उनके लिए चिरस्थायी विधान स्थापित करूँगा।
9 उनके वंशज राष्ट्रों में प्रसिद्ध होंगे और उनकी सन्तति का नाम देश-विदेश में फैलेगा। उन्हें देखने वाले सब-के-सब जान जायेंगे कि वे प्रभु की चुनी हुई प्रजा है।“
10 मैं प्रभु में प्रफुल्लित हो उठता हूँ, मेरा मन अपने ईश्वर में आनन्द मनाता है। जिस प्रकार वह याजक की तरह मौर बाँध कर और वधू आभूषण पहन कर सुशोभित होते हैं, उसी प्रकार प्रभु ने मुझे मुक्ति के वस्त्र पहनाये और मुझे धार्मिकता की चादर ओढ़ा दी है।
11 जिस प्रकार पृथ्वी अपनी फ़सल उगाती है और बाग़ बीजों को अंकुरित करता है, उसी प्रकार प्रभु-ईश्वर सभी राष्ट्रों में धार्मिकता और भक्ति उत्पन्न करेगा।