इसायाह का ग्रन्थ
अध्याय : 1 • 2 • 3 • 4 • 5 • 6 • 7 • 8 • 9 • 10 • 11 • 12 • 13 • 14 • 15 • 16 • 17 • 18 • 19 • 20 • 21 • 22 • 23 • 24 • 25 • 26 • 27 • 28 • 29 • 30 • 31 • 32 • 33 • 34 • 35 • 36 • 37 • 38 • 39 • 40 • 41 • 42 • 43 • 44 • 45 • 46 • 47 • 48 • 49 • 50 • 51 • 52 • 53 • 54 • 55 • 56 • 57 • 58 • 59 • 60 • 61 • 62 • 63 • 64 • 65 • 66 • पवित्र बाईबल
अध्याय 64
1 जिस तरह अग्नि लकड़ी को जलाती और पानी को उबालती है, उसी तरह तू अपने शत्रुओं पर अपना नाम प्रकट कर, जिससे जातियाँ तेरे सामने काँप उठें।
2 यदि तू ऐसे भयंकर कार्य करता, जिनकी हम कल्पना नहीं कर सकते, तो तेरे आगमन पर पर्वत काँपने लगेंगे।
3 यह कभी सुनने या देखने में नहीं आया कि तेरे ही समान कोई देवता अपने पर भरोसा रखने वालों के साथ ऐसा व्यवहार करें।
4 तू उन लोगों का पथप्रदर्शन करता है, जो सदाचरण और तेरे मार्गों का स्मरण करते हैं। तू अप्रसन्न है, क्योंकि हम पाप करते थे और बहुत समय से तेरे विरुद्ध विद्रोह करते आ रहे हैं।
5 हम सब-के-सब अपवित्र हो गये और हमारे समस्त धर्मकार्य मलिन वस्त्र जैसे हो गये थे। हम सब पत्तों की तरह सूख गये और हमारे पाप हमें पवन की तरह छितराते रहे।
6 कोई न तो तेरा नाम लेता और न तेरी शरण में जाने का विचार करता है; क्योंकि तूने हम से मुँह फेर लिया और हमारे पापों को हम पर हावी होने दिया।
7 तो भी, प्रभु! तू हमारा पिता है। हम मिट्टी हैं और तू कुम्हार है, तूने हम सबों को बनाया है।
8 प्रभु! हम पर अधिक क्रुद्ध न हो! हमारे पाप सदा के लिए याद न कर! हम पर दयादृष्टि कर, क्योंकि हम तेरी प्रजा हैं।
9 तेरे पवित्र नगर निर्जन हो गये हैं। सियोन मरुभूमि बन गया है; येरुसालेम उजाड़ पड़ा हुआ है।
10 हमारा पवित्र और भव्य मन्दिर, जहाँ हमारे पूर्वज तेरी स्तुति करते थे, आग में भस्म हो गया है। हमारे सभी रमणीय स्थल उजाड़ पड़े है!
11 प्रभु! क्या तू यह सब देख कर भी हस्तक्षेप नहीं करेगा? क्या तू इसी तरह मौन रह कर हम को अत्यधिक नीचा दिखायेगा?