02 जनवरी 2023, सोमवार
सन्त बासिल, सन्त ग्रिगोरी नाजियंजन
📒 पहला पाठ: 1 योहन 2:2-28
22) झूठा कौन है? वह, जो ईसा को मसीह नहीं मानता। वही मसीह-विरोधी है। वह पिता और पुत्र, देानों को अस्वीकार करता है।
23) जो पुत्र को अस्वीकार करता है, उस में पिता का निवास नहीं है। जो पुत्र को स्वीकार करता है, उस में पिता का निवास है।
24) जो शिक्षा तुम लोगों ने प्रारम्भ से सुनी, वह तुम में बनी रहे। जो शिक्षा तुम लोगों ने प्रारम्भ से सुनी, यदि वह तुम में बनी रहेगी, तो तुम भी पुत्र तथा पिता में बने रहोगे।
25) मसीह ने हम से जो प्रतिज्ञा की, वह है- अनन्त जीवन।
26) मैंने ये बातें तुम को उन लोगों के विषय में लिखीं हैं, जो तुम्हें भटकाना चाहते हैं।
27) तुम लोगों को मसीह से जो पवित्र आत्मा मिला, वह तुम में विद्यमान रहता है; इसलिए तुम को किसी अन्य गुरु की आवश्यकता नहीं। वह तुम्हें सब कुछ सिखलाता है। उसकी शिक्षा सत्य है, असत्य नहीं। तुम उस शिक्षा के अनुसार मसीह में बने रहो।
28) बच्चो! अब तुम उन में बने रहो, जिससे जब वह प्रकट हों, तो हमें पूरा भरोसा हो और उनके आगमन पर उन से अलग होने की निराशा न हो।
📙 सुसमाचार : सन्त योहन 1:19-28
19) जब यहूदियों ने येरुसालेम से याजकों और लेवियों को योहन के पास यह पूछने भेजा कि आप कोन हैं,
20) तो उसने यह साक्ष्य दिया- उसने स्पष्ट शब्दों में यह स्वीकार किया कि मैं मसीह नहीं हूँ।
21) उन्होंने उस से पूछा, ‘‘तो क्या? क्या आप एलियस हैं?’’ उसने कहा, ‘‘में एलियस नहीं हूँ’’। ‘‘क्या आप वह नबी हैं?’’ उसने उत्तर दिया, ‘‘नहीं’’।
22) तब उन्होंने उस से कहा, ‘‘तो आप कौन हैं? जिन्होंने हमें भेजा, हम उन्हें कौनसा उत्तर दें? आप अपने विषय में क्या कहते हैं?’’
23) उसने उत्तर दिया, ‘‘मैं हूँ- जैसा कि नबी इसायस ने कहा हैं- निर्जन प्रदेश में पुकारने वाले की आवाज़ः प्रभु का मार्ग सीधा करो’’।
24) जो लोग भेजे गये है, वे फ़रीसी थे।
25) उन्होंने उस से पूछा, ‘‘यदि आप न तो मसीह हैं, न एलियस और न वह नबी, तो बपतिस्मा क्यों देते हैं?’’
26) योहन ने उन्हें उत्तर दिया, ‘‘मैं तो जल में बपतिस्मा देता हूँ। तुम्हारे बीच एक हैं, जिन्हें तुम नहीं पहचानते।
27) वह मेरे बाद आने वाले हैं। मैं उनके जूते का फीता खोलने योग्य भी नहीं हूँ।’’
28) यह सब यर्दन के पास बेथानिया में घटित हुआ, जहाँ योहन बपतिस्मा देता था।