04 जनवरी 2023, बुधवार

📒 पहला पाठ: योहन का पहला पत्र 3:7-10

7) बच्चो! कोई तुम्हें बहकाये नहीं। जो धर्माचरण करता है, वह उनकी तरह निष्पाप है।

8) जो पाप करता है, वह शैतान की सन्तान है; क्योंकि शैतान प्रारम्भ से पाप करता आया है। ईश्वर का पुत्र इसलिए प्रकट हुआ कि वह शैतान के कार्य समाप्त कर दे।

9) जो ईश्वर की सन्तान है, वह पाप नहीं करता; क्योंकि ईश्वर का जीवन-तत्व उस में क्रियाशील है। वह पाप नहीं कर सकता, क्योंकि वह ईश्वर से उत्पन्न हुआ है।

10) ईश्वर की सन्तान और शैतान की सन्तान की पहचान यह है- जो धर्माचरण नहीं करता, वह इ्रश्वर की सन्तान नहीं है और वह भी नहीं, जो अपने भाई को प्यार नहीं करता।

📙 सुसमाचार : सन्त योहन 1:35-42

35) दूसरे दिन योहन फिर अपने दो शिष्यों के साथ वहीं था।

36) उसने ईसा को गुज़रते देखा और कहा, ‘‘देखो- ईश्वर का मेमना!’

37) दोनों शिष्य उसकी यह बात सुन कर ईसा के पीछे हो लिये।

38) ईसा ने मुड़ कर उन्हें अपने पीछे आते देखा और कहा, ‘‘क्या चाहते हो?’’ उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘रब्बी! ’’ (अर्थात गुरुवर) आप कहाँ रहते हैं?’’

39) ईसा ने उन से कहा, ‘‘आओ और देखो’’। उन्होंने जा कर देखा कि वे कहाँ रहते हैं और उस दिन वे उनके साथ रहे। उस समय शाम के लगभग चार बजे थे।

40) जो योहन की बात सुन कर ईसा के पीछे हो लिय थे, उन दोनों में एक सिमोन पेत्रुस का भाई अन्द्रेयस था।

41) उसने प्रातः अपने भाई सिमोन से मिल कर कहा, ‘‘हमें मसीह (अर्थात् खीस्त) मिल गये हैं’’

42) और वह उसे ईसा के पास ले गया। ईसा ने उसे देख कर कहा, ‘‘तुम योहन के पुत्र सिमोन हो। तुम केफस (अर्थात् पेत्रुस) कहलाओगे।’’