13 जनवरी 2023, सामान्य काल का पहला सप्ताह, शुक्रवार

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📒 पहला पाठ : इब्रानियो 4:1-5,11

1) ईश्वर के विश्रामस्थान में प्रवेश करने की वह प्रतिज्ञा अब तक कायम है, इसलिए हम सतर्क रहें कि आप लोगों में कोई उस में प्रवेश करने से न रह जाये।

2) हम को उन लोगों की तरह एक मंगलमय समाचार सुनाया गया है। उन लोगों ने जो सन्देश सुना, उन्हें उस से कोई लाभ नहीं हुआ; क्योंकि सुनने वालों में विश्वास का अभाव था।

3) हम विश्वासी बन गये हैं; इसलिए हम उस विश्रामस्थान में प्रवेश करते हैं, जिसके विषय में उसने कहा- मैंने क्रुद्ध होकर यह शपथ खायी: वे मेरे विश्रामस्थान में प्रवेश नहीं करेंगे। ईश्वर का कार्य तो संसार की सृष्टि के समय ही समाप्त हो गया है,

4) क्योंकि धर्मग्रन्थ सातवें दिन के विषय में यह कहता है – ईश्वर ने अपना समस्त कार्य समाप्त कर सातवें दिन विश्राम किया

5) और उपर्युक्त उद्धरण में हम यह पढ़ते हैं – वे मेरे विश्रामस्थान में प्रवेश नहीं करेंगे।

📚 सुसमाचार : मारकुस 2:1-12

1) जब कुछ दिनों बाद ईसा कफ़रनाहूम लौटे, तो यह खबर फैल गयी कि वे घर पर हैं

2) और इतने लोग इकट्ठे हो गये कि द्वार के सामने जगह नहीं रही। ईसा उन्हें सुसमाचार सुना ही रहे थे कि

3) कुछ लोग एक अद्र्धांगरोगी को चार आदमियों से उठवा कर उनके पास ले आये।

4) भीड़ के कारण वे उसे ईसा के सामने नहीं ला सके; इसलिए जहाँ ईसा थे, उसके ऊपर की छत उन्होंने खोल दी और छेद से अद्र्धांगरोगी की चारपाई नीचे उतार दी।

5) ईसा ने उन लोगों का विश्वास देख कर अद्र्धांगरोगी से कहा, “बेटा! तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं”।

6) वहाँ कुछ शास्त्री बैठे हुए थे। वे सोचते थे- यह क्या कहता है?

7) यह ईश-निन्दा करता है। ईश्वर के सिवा कौन पाप क्षमा कर सकता है?

8) ईसा को मालूम था कि वे मन-ही-मन क्या सोच रहे हैं। उन्होंने शास्त्रियों से कहा, “मन-ही-मन क्या सोच रहे हो?

9) अधिक सहज क्या है- अद्र्धांगरोगी से यह कहना, ’तुम्हारे पाप क्षमा हो गये हैं’, अथवा यह कहना, ’उठो, अपनी चारपाई उठा कर चलो-फिरो’?

10) परन्तु इसलिए कि तुम लोग यह जान लो कि मानव पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार मिला है”- वे अद्र्धांगरोगी से बोले-

11) “मैं तुम से कहता हूँ, उठो और अपनी चारपाई उठा कर घर जाओ”।

12) वह उठ खड़ा हुआ और चारपाई उठा कर तुरन्त सब के देखते-देखते बाहर चला गया। सब-के-सब बड़े अचम्भे में पड़ गये और उन्होंने यह कहते हुए ईश्वर की स्तुति की- हमने ऐसा चमत्कार कभी नहीं देखा।