14 जनवरी 2023, सामान्य काल का पहला सप्ताह, शनिवार
संत देवसहायम – शहीद
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📒 पहला पाठ : इब्रानियो 4:12-16
12) क्योंकि ईश्वर का वचन जीवन्त, सशक्त और किसी भी दुधारी तलवार से तेज है। वह हमारी आत्मा के अन्तरतम तक पहुँचता और हमारे मन के भावों तथा विचारों को प्रकट कर देता है। ईश्वर से कुछ भी छिपा नहीं है।
13) उसकी आँखों के सामने सब कुछ निरावरण और खुला है। हमें उसे लेखा देना पड़ेगा।
14) हमारे अपने एक महान् प्रधानयाजक हैं, अर्थात् ईश्वर के पुत्र ईसा, जो आकाश पार कर चुके हैं। इसलिए हम अपने विश्वास में सुदृढ़ रहें।
15) हमारे प्रधानयाजक हमारी दुर्बलताओं में हम से सहानुभूति रख सकते हैं, क्योंकि पाप के अतिरिक्त अन्य सभी बातों में उनकी परीक्षा हमारी ही तरह ली गयी है।
16) इसलिए हम भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास जायें, जिससे हमें दया मिले और हम वह कृपा प्राप्त करें, जो हमारी आवश्यकताओं में हमारी सहायता करेगी।
📙 सुसमाचार : सन्त मारकुस 2:13-17
13) ईसा फिर निकल कर समुद्र के तट गये। सब लोग उनके पास आ गये और ईसा ने उन्हें शिक्षा दी।
14) रास्ते में ईसा ने अलफ़ाई के पुत्र लेवी को चुंगीघर में बैठा हुआ देखा और उस से कहा, ’’मेरे पीछे चले आओ’’, और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया।
15) एक दिन ईसा अपने शिष्यों के साथ लेवी के घर भोजन पर बैठे। बहुत-से नाकेदार और पापी उनके साथ भोजन कर रहे थे, क्योंकि वे बड़ी संख्या में ईसा के अनुयायी बन गये थे।
16) जब फ़रीसी दल के शास्त्रियों ने देखा कि ईसा पापियों और नाकेदारों के साथ भोजन कर रहे हैं, तो उन्होंने उनके शिष्यों से कहा, ’’ वे नाकेदारों और पापियों के साथ क्यों भोजन करते हैं?’’
17) ईसा ने यह सुन कर उन से कहा, ’’निरोगियों को नहीं, रोगियों को वैद्य की ज़रूरत होती है। मैं धर्मियों को नहीं, पापियों को बुलाने आया हूँ।’’